तुम्हारी याद
तुम्हारी याद
अलगनी से
उतार कर
अच्छे से
तहा कर
अपनी अलमारी में
रख दी है
रोज एक बार
निकाल कर
देख लूँगी
नही तो अलमारी में
पड़े पड़े कहीं
दीमक न लग जाये
चट कर जाए
तुम्हारी सारी
शैतानियां
अठखेलियां
जो तुम
हम सबके साथ
किया करते थे......
धूप लगाना भी तो जरूरी होता है न मेरे यार.....
अलगनी से
उतार कर
अच्छे से
तहा कर
अपनी अलमारी में
रख दी है
रोज एक बार
निकाल कर
देख लूँगी
नही तो अलमारी में
पड़े पड़े कहीं
दीमक न लग जाये
चट कर जाए
तुम्हारी सारी
शैतानियां
अठखेलियां
जो तुम
हम सबके साथ
किया करते थे......
धूप लगाना भी तो जरूरी होता है न मेरे यार.....
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