तब तो कोई बात बने
- कोई सूरज जागे धरती पे
तब तो कोई बात बने
तू आ कर के मुझे बुलाए
तब तो कोई बात बने
दुनिया की बाते करते हो
दुनिया कब किसकी होती है
वो तो बस अपने मे ही सोती है
कब, किसका, कैसे दिल टूटा
तुम आ कर के पूछो
तब तो कोई बात बने
वरना हम खो जाएँगे
दुनिया की इस भीड़ मे
तुम आ कर के मुझको डूंढो
तब तो कोई बात बने.......
Prateek Shesh तू मेरे साथ जीवन भर चलने की मत सोच
मेरे साथ दो कदम चल सके तो भी बात बने
Aparna Khare Prateek Shesh तमाम उम्र कौन साथ देता है
कुछ दूर मेरे साथ चलो तो कोई बात बने
Kump Singh मुझे तुम अपनी और खींचती हो ज़्यादा ये कहकर,
कि मैं ख़ौ जाहुँगी इस भीड़ मे दौबारा न मिलने को
Aparna Khare किसी बहाने तो पॅक्डो मेरा हाथ
तब तो कोई बात बने
Kump Singh मैं हाथ तो पकड़ सकता हूँ कभी भी,
पर मुझे डर ज़्यादा रहता है राखी से......
Aparna Khare अगर मॅन हो आपका साफ तो ही पॅक्डो मेरा हाथ
तब तो कोई बात बने....rakhi ki kya bisaat....
Kump Singh हाथ जो पकड़ लूँ मैं कही और तुम ये कह दो,
ठहरो देख लूँ कही है तो नही हम किसी क़ी नज़र मे
अपर्णा :-कोई सूरज जागे धरती पे
तब तो कोई बात बने
प्रतीक :- हम हमारी रौशनी से चमकते है
क्यों सूरज को जगाये
अपर्णा :-तू आ कर के मुझे बुलाए
तब तो कोई बात बने
प्रतीक :-तू एक बार दिल से आवाज दे देना
मे दौड़ा चला न औ तो कह देना
अपर्णा :-दुनिया की बाते करते हो
दुनिया कब किसकी होती है
प्रतीक :-मुझे नहीं वास्ता दुनिया में
लेकिन बस तेरे लिए एस दुनिया में रहता हु
अपर्णा :-वो तो बस अपने मे ही सोती है
कब, किसका, कैसे दिल टूटा
प्रतीक :-किसने कहा वो अपने में ही सोती है
उसकी नजरे तो रात दिन हमारे प्यार पर टिकी रहती है
अपर्णा :-तुम आ कर के पूछो
तब तो कोई बात बने
प्रतीक :-प्यार दोनों तरफ से हुआ है
एक बार तुम आकर पूछो तो बात बने
अपर्णा :-वरना हम खो जाएँगे
दुनिया की इस भीड़ मे
प्रतीक :-तेरे मेरे बीच में डोरी है एक अनजानी
जो न दुनिया न देखि सिर्फ हमने बंधी
अपर्णा :-तुम आ कर के मुझको डूंढो
तब तो कोई बात बने.......
प्रतीक :-भला दिल भी किसी अपने टुकडो को धुंध करता है
तुम आँखे बंद करना,,मे हाजिर हो जाऊंगा
Aparna Khare so nice prateek..........
Kump Singh प्रतीक तुमसा दीवाना न देखा मैने,
अगर मुझे न देखा तो क्या देखा प्रतीक
Aparna Khare आपस मे ही बाट लो ज़ज्बात
ऐसी कौन सी है बात
Kump Singh मैने जब भी उठाई किसी पर नज़र,
दुनिया को खूब जलन हुई है प्रतीक
Prateek Shesh अरे हमने तो पूरी दुनिया देख ली
बस उसकी नजरो में आते ही गुम हो गए
Prateek Shesh तुमने तो नजर उठाई थी और दुनिया जलने लगी
मैंने तो आँख भी नहीं खोली की सूरज तिलमिला उठा
Kump Singh जहाँ जहाँ मेरी नज़र गई वो चीज़ मेरी न हुई,
किसी गैर क़ी बाहों मे जाकर हलाल हुई..........हा हा
Aparna Khare खोना पाना गुम हो जाना ये तो काम मोहब्बत का..
Prateek Shesh हमने तो मोहब्बत के अलावा कुछ किया ही नहीं
लेकिन उस बेवफा को मोहब्बत का अर्थ ही नहीं पता चला
Kump Singh प्रतीक झूठ भी ढंग से बोला करो,
वैसा तो होगा ही पूरी रात के बाद खोला करो.........हहा
Prateek Shesh हमने तो उसकी याद में न दिन जाना न रात
हमने तो पीना भी छोड़ दिया उसके जाने बाद
Kump Singh मोहब्बत के नाम से अब हमको भी डर लगता है "कुम्प"
कि कितने आशिक़ जलाए गये है अंजाम से पहले............
Prateek Shesh हम किस किस को कहे अपना दर्द
अब तो आगाज से पहले अंजाम से डर लगता है
Kump Singh मुझे तो कह दो गर तुम खुद न संभाल पाते हो प्रतीक,
मैने कही आवारो क़ी बस्तिया खड़ी क़ी है
Prateek Shesh कभी कभी तो महफ़िल में तुम भी बहक जाते हो
खुद तो संभल नहीं पते,हसीनाओ की बात करते हो
Aparna Khare मोहब्बत करने वाले अंजाम से क्यूँ डरते हो...
या तो पा जाओगे मोहब्बत, या फ़ना हो जाओगे
Kump Singh इन आँखो का क्या करे कोई,
ये न जाने क्या क्या ज़ुल्म करवाती है प्रतीक
Prateek Shesh आँखों में सदा उसे ही रखो
अक्सर हसीनाओ की मुफलिसी कहर ढा देती है
Kump Singh आखो पे कौन यकीन करता है आजकल,
कुम्प तो एडी से छोटी तक का नाप रखता है सबका
Prateek Shesh बस यही तो मात खा जाता है कुम्प
हसिनाये अक्सर आँखों से वार करती है
Aparna Khare आँखो से दिल मे उतरना है...
काम एक बस यही तो करना है
तो फिर इस हाल मे आँखो से क्या डरना है
Kump Singh मुझे आँख से आँख मिलाने क़ी आदत नही है,
ये तो कुम्प तब करता है जब दमदार दुश्मन मिलता है
Prateek Shesh दुश्मन तो अक्सर पीछे से वार करता है
ये कलिया ही है जी दिल में चाकू मार जाती है
Aparna Khare प्यार मे वार कैसा? दुश्मनी कैसी?
प्यार तो प्यार है... नासमझी कैसी?
Prateek Shesh अरे एक यही तो जंग है जहा सब कुछ जायज है
वर्ना बाहर तो अपने भी रूठ जाते है
Kump Singh खूबसूरत हो हसीना तो हज़ार वार सहन कर लूँ,
पर आँखो से हसीना ओ के वार से डरता है कुम्प
Prateek Shesh हसीना तो हसीना होती है
बद क्या खूब सूरत क्या
Aparna Khare एक को चुनोगे तो ना पाओगे मात कभी
संख्या बढ़ा ली तो .....
Kump Singh जंगी जहाज़ के बेड़े मे पुराने हथियार कहाँ कामयाब होते है,
खूबसूरती क़ी चाहत मे तो "कुम्प"अब तलक कुँवारा है
Meenu Vohra तुम आ कर के मुझको डूंढो
तब तो कोई बात बने..............kya baat..........!
Prateek Shesh Aparna Khare,,,,,,,,,,,हमें तो सदा हजारो दीप ही प्यारे है.............
एक सूरज से काम नहीं चलता हमारा
Vinay Sharma bahut sundar mukhda hai ji " कोई सूरज जागे धरती पे
तब तो कोई बात बने"
Aparna Khare thanks Vinay ji....
Aparna Khare Thanks Meenu ji
Prateek Shesh अरे उसने तो कभी मुझे सिद्दत से चाह ही नहीं
वर्ना मुझ जैसा दीवाना उसे कहा मिलता
Kump Singh तुम रात मे ख्वाब संजाते हो प्रतीक,
मैने दिन मे तारे दिखाए दुनिया वालो को
Aparna Khare एक सूरज रोशन हो तो हज़ार चाँद फीके है...
तुम दीप की बात करते हो...वो तो सूरज के आगे छोटे
Prateek Shesh दुनिया की क्या ओकात हमारे सामने आये
वर्ना हम तो कब के तारे दिखा चुके होते
Prateek Shesh अरे तुम किस दुनिया की बात करते हो
जहा सूरज को भी एक तारा माना जाता है
Aparna Khare माना सुरज भी एक तारा है..
पर सबको जान से प्यारा है
Kump Singh तुम ने तारे गिनने मे बिताई है राते,
तभी तुम नही समझ पाते दिल क़ी बाते
Prateek Shesh पता नहीं किसे प्यारा है
हमने तो सदा उसे ललकारा है
Prateek Shesh हमने तो कभी रातो में तारे नहीं गिने
हा ये जरुर है की जब जब वो नहीं आई तब तब चाँद को निहारा जरुर है
Aparna Khare मरने मारने मे बीत जाएगी उम्र सारी...
छोड़ दो अब ये नादानिया प्यारी
Kump Singh चाँद सी चाहत गर है तुम्हारी,
तो काली रातों मे घर से क्यूँ नही निकलते हो
Prateek Shesh हमने कब की नादानीया इतनी
उसने तो पहली नजर में ही मार दिया
Prateek Shesh मै तो अक्सर अंधरे में ही रहता हु
कभी आसमा में चाँद को देख लेना
Kump Singh ये ज़ुल्म है हुआ है आज तुमसे से अर्पणा,
भरी महफ़िल मे उसे मासूम कह दिया
Kump Singh मैने हर प्रतिद्वंदी को यह कहकर छोड़ दिया,
अभी तो मासूम उमर है इसकी
Aparna Khare जो मर गया उसे कौन मार सका
ये तो तुम्हारी ग़लत फ़हमी है
जिसे तुम ने प्यार का नाम दिया
Aparna Khare मासूम को मासूम ना कहे तो क्या कहे
कैसे उसे कोई इल्ज़ाम दे
Kump Singh प्यार मरता नही है जब मैने सुना है,
यकीन न था तो ताजमहल एक बार फिर देख आओ
Kump Singh उसने अब नादानी करनी छोड़ दी,
तो कुम्प भी अब आज़ाद होगा इस महफ़िल से
Aparna Khare ताज़ महल क्या देखे कोई
दिल मे उतर कर क्यूँ ना देखे
Prateek Shesh ये किसी और की पंक्ति है
मुझे उठता तेरी महफ़िल से,उस गैर की क्या ओकात
मैंने भी देख लिया था कुछ इशारा तो तुम्हारा भी था
Kump Singh अब विदा लेता हूँ अर्पणा जी............
इस नादान से कोई चूक हुई हो तो क्षमा प्राथि हूँ......बाकी बसे दिन क़ी शुभ कामनाएँ
Prateek Shesh मै भी चलता हु दीदी
posted by अपर्णा खरे @ 12:03 AM 9 Comments
9 Comments:
bahut sunder maza aa gaya pudh kar
thanks Anjana ji...
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nice
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