Friday, June 17, 2011

श्रद्धा और विश्वास मे क्या फ़र्क हैं?


      • Ravindra Shukla dono kaa sambhandh man se hotaa kai---

      • Ravindra Shukla ye ik mano vigyaanik prashan hai ----

      • Aparna Khare sahi kaha apne but log kehte hain shraddha toot gai..kya ye tootti hain?


        Nirmal Paneri वाह ...श्रधा इन्सान की किसी के प्रति हुआ करती है ...जो उसके विश्वास को अटल बनाती है ...और ये दोनों एक दुसरे को बांधने का काम करती है ...आत्मा और शारीर का एक साथ होना ही श्रधा और विश्वास है शायद और धार्मिक पदति से समझा जाये तो ..शिव साक्षात विश्वास का स्वरूप है और पार्वती श्रद्धा है..!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!1
      • Ravindra Shukla ham nirmal se sahmat hai -----

      • Aparna Khare मेरे ख़याल से श्रद्धा कभी विचलित नही होता और हमारा विश्वास समय के साथ दोलता रहता हैं कभी कम कभी ज़्यादा

      • Nirmal Paneri tuta ता विश्वास है ...श्रधा कभी नहीं ...इसी लिए उसको शिकायत अब भी की श्रधा थी पर विश्वास टुटा ...वही आत्मा और शारीर !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

      • Aparna Khare खंडित विश्वास को जोड़ा जा सकता हैं?

      • Nirmal Paneri वही काम श्रद्धा करती है .....श्रद्धा ही जोडती है इन्सान को ....शिव और पार्वती का उद्धरण इसी लिए दिया ...श्रद्धा थी शक्ति में .... तो शक्ति के जाने से ...कुछ समय बाद फिर पार्वती को लाया गया ..उस प्रकृति द्वारा !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


        Aparna Khare कोई ऐसा उपाय जो श्रद्दा कभी खंडित ना हो....जैसे तेल की अविरल धारा जो कभी नही टूटती लेकिन पानी की धार छिन्न भिन्न हो जाती हैं

      • Ravindra Shukla श्रद्दा samay or kaal ke anusaar khandit hoti rahti hai ----

      • Aparna Khare क्या श्रद्धा इतनी छोटी हैं की कोई भी उसे हरा दे खंडित कर दे?


      • जीवन में समर्पण ....भाव किसी के भी इश्वर को शक्षत मान कर जेसे आप को एक मानस पूजा का उधारहं देता हूँ
        हे शम्भो! मेरी आत्मा तुम हो, बुद्धि पार्वती जी हैं, प्राण आपके गण हैं, शरीर आपका मन्दिर है, सम्पूर्ण विषय-भोग की रचना आपकी पूजा है, निद्रा ...समाधि है, मेरा चलना-फिरना आपकी परिक्रमा है तथा सम्पूर्ण शब्द आपके स्तोत्र हैं; इस प्रकार मैं जो-जो भी कर्म करता हूँ, वह सब आपकी आराधना ही है...आब आप इस में कहन विचलित हो सकतें है कसी के प्रति या किसी के कहने से या सुनने से !!!शयद आप की श्रधा बनी रहे ...आप को किसी की बात पैर विश्वास करना की जो आप कर रही है वो सही नहीं है ...ये ही शंस्य पैदा करेगा ...वही विश्वास हो डिगमग्येगा ...पैर आप का विश्वास अत्तल है तो शयद आप विजय होंगी ...पर समर्पण जरुरी मान से !!!!!!!!
        !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


      • Aparna Khare अगर विश्वास अटल होता तो कभी टलता नही यानी झूठा विश्वास अपने आप पर परमात्मा पर


        Nirmal Paneri श्रद्धा ...का अटल होना ....विश्वास की बुनियाद वाही है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

      • Aparna Khare अपने आप पर या भगवान पर?

      • Nirmal Paneri KISI PER BHI .......AAP SYAM ISHWAR HAI ....SHIVOHUM ...MEN HI SHIV HUN

      • Aparna Khare लेकिन ईश्वर से भूल ? वो कैसे भटक सकता हैं अपने उदेश्य से


      • इन्सान की फितरत कम करती है ...श्रद्धा मन करती है पर ...इंसानी विश्वास डिग मगाता है ....वही शिव के साथ हुआ जब शक्ति के शव ले कर उन्होंने घूमना शरू किया ...अन्तोगत्वा वह नहीं रही फिर से सरधा से प्राप्त किया .....अब होता क्या है की हम किसी भी ...बात को एक दुसरे से जोड़ने का प्रयत्न करतें है ...तो व्श्वास मान में कई शंकाओं की उत्पत्ति करता चला जाता है इन्सान उसी में उलझ ता चलता है ...वाहं श्रद्धा की अनदेकी होने लगती हैं ....भटकाव शरू हिने लगता है ...इसी लिए कई बार देखा है की इन्सान कहता है समय खरब था फिर से सब ठीक हुआ ....श्रीध की और मान जब फिर से जाने लगता है विश्वास की नीवन फिर से बानने लगती है इन्सान आपने पूर्ण रूप में फिर से आने लगता है ...शयद जहन तक में आपनी मान की बात आज यहं लिख रहा हौं में कोई आदर्श नहीं या मेरे विचार ...पर जो जो अब तक देखा है ..या जीवन में घ्रहं किया ही उसी को आधार मान कर लिखा है ....या बिलकुल मेरे निजी विचार है ....!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

        Hitesh Joshi Jab visvas Andha ho ja a to vah sardha ban jati he
      • Visvas ka charam bindu shardha he


        Ubhan Suyessh networak,,,,,,,,,,,,,,,

      • Ubhan Suyessh kuchh likhna chahta hun ,,,,,,,uff,,,roj ka ek hi rona hai,,,,,,

      • Aparna Khare u are most welcome...sir


      • mere param priya mitr Ubhaan ji ki aur se....kyunki unka network theek se kaam nahi kar raha hai....श्रद्धा का केंद्र हृदय है ,,,यह भीतर के प्रेम से उठती है,,isko parkha nahi jata,,,yah bas hoti hai,,
        विश्वास का केंद्र दूसरा होता है जो बाहर ...होता है ,किसी दूसरे को परखने के बाद विश्वास किया जाता है
        विश्वास के टूटने पर दुःख होता है
        श्रद्धा कभी नहीं टूटती ,,आदमी मिट जाता है
        विश्वास शाखाएं हैं और श्रद्धा जड़ें
        विश्वास दिखता है श्रद्धा आभासित होता है

        Aparna Khare true.....100%

      • Ravindra Shukla ab is post par kyaa likhaa jaaye sab saaf ho gyaa hai ---kisi ko koi shak---

      • Aparna Khare नही शीशे सी चमक रही हैं श्रद्धा


      • Sahmat hu ubhan ji
        Dusre sabdo me
        SARDHA hamari
        Tisri aankh(eyes)
        He do aankhe es sansar ko dekhne ke liye
        ...Aur sardha ki aankh se PRMATMA ko dekha jata he
        SARDHA SWAYAM asatitv me hoti he

        Bhuwnesh Prabhu Joshi hitesh bhaiya ....keep it up

      • Aparna Khare prabhu ap kyun nahi

      • Bhuwnesh Prabhu Joshi विश्वास आत्मा का धर्म है और स्थिर रहता है। जबकि किसी व्यक्ति के कर्मो को देखकर उसके प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है जो कि समय के साथ घटती-बढ़ती रहती है।

      • Aparna Khare श्रद्दा और विश्वास दोनो का दिया हर समय जला के रखना पड़ता हैं और जैसे दिए को आड़ देकर रखते हैं ऐसे ही परमात्मा के प्रति जले दिए को भी दुनिया की हवा से बचा कर रखना पड़ता हैं की कोई उसे बुझा ना दे...


      • Jigyasu vyaktiyo ki 4 sreni hoti he
        1 vidhyarthi TARK se chalata he
        2 sadhak KRATY se
        3 sisya PREM se
        4 bhakt SARDHA se
        ...PREM KI PARAKAASTHA HE SARDHA
        jiski moujudgi me sardha ki kli phul ban jay usi ka nam SADGURU he

        Ravindra Shukla kyaa chal rahaa hai -----sunaa hai gambhi baat ho rahi hai ----

      • Aparna Khare ap bhi aye swagat hain apka

      • Nirmal Paneri shriddha se

      • Hitesh Joshi Visvas tarkik he jiska sambandh budhi se he 
      • Jab ki sardha ka samcndh hamari aatma se he
        Tark ki antim nisptti aatmghat he aur sardha ki amart jivan



        Aparna Khare bahut acche joshi ji..

      • Hitesh Joshi Bahut bahut aabhar aparna ji

      • Aparna Khare दिल यानी श्रद्धा
      • दिमाग़ यानी विश्वास
        जहा से दिमाग़ का अस्तित्व समाप्त होता हैं वही से दिल की सीमा शुरू होती हैं यानी यहा से विश्वास अपना अस्तित्व खोता हैं वही से श्रद्धा अपना काम शुरू करती हैं दिमाग़ तो वाहा तक जा भी नही सकता जहा तक श्रद्धा जा सकती हैं



        Aparna Khare श्रद्दा से ना जाने कितने रुके हुए काम बन जाते हैं जो की असंभव प्रतीत होते हैं

      • Suman Mishra श्रध्हा हमेशा ,,,अपने से आदरनीय पूज्यनीय पर ही होती है, लेकिन विश्वास का धरातल जंतु, मानव, इश्वर....सब पर इंसान कर कर सकता है,,,,,विश्वास.....मैं सकारात्मक और नकारात्मक (सही होगा, गलत होगा) दोनों भाव होते हैं, लेकिन श्रधा हमेशा,,,पवित्र और पूज्यनीय भाव निहित होती है,,,


      • स्वय्म भगवान ने गीता में कहा है कि "यो यो याम याम तनु भक्त: श्रध्यार्तचितुमुछति!तस्य तस्याचलाम श्रध्हा तामेव विदधाम्यहम!! अर्थात जिस भी रुप से भजे भगवान उसी रुप में साधक की श्रद्धा को द्रन करते हैं और मृत्युओप्रांत जीव उसी लोक को प्राप्त हो...ता है. ". दोनों ही ग्रन्थ परम उर्क्रिश्त हैं. घर परिवार में सूख शांति और तांत्रिक प्रयोगों से रक्षा के लिए सप्त्शति का पाठ होता है, सप्तशती के पाठ और जाप से मन में माँ के प्रति शिशु भाव का उदय होता है और ऐसा लगता है कि माँ की गोद का पावन सनिध्य मिल रहा है. Bhuwnesh Prabhu Joshi श्रद्धा और विश्वास दोनों हृदय से गति लेते है.....विश्वास जब पराकाष्ठा की ओर अग्रसर होता है....श्रद्धा मे परिणीत होने लगता है...
        श्रद्धा के लिए पहले विश्वास का होना परम आवश्यक है..

      • Ravindra Shukla मेरे मित्र अमित का कहना है की श्रध्हा मेरे ऑफिस की क्लर्क है ---उसमे विस्वास बहुत है ----..

      • Bhuwnesh Prabhu Joshi धाय धाय ...

      • Ravindra Shukla dono me santulan bahut sahi hai -----

      • Aparna Khare bhuvnesh ji bilkul sahi kaha apne....vishvaas choti stage hain shraddha ki...aur shraddha full grown ped hain jeevan ka

      • Ravindra Shukla श्रद्धा ki umar 22 saal ki hai ---

      • Bhuwnesh Prabhu Joshi आज दिन तक कुछ गलत कहा ......ही ही ही

      • Bhuwnesh Prabhu Joshi RAVI JEE..........धाय धाय ...

      • Ravindra Shukla shaadi ki baat chal rahi hai vyakti kaa naam vishvaas hai ....koi shak ----

      • Aparna Khare hmmm....ahankaar.....girne ki pratham seedhi hain....prabhu ji

      • Aparna Khare nahi koi shak nahi .....dono sath rahenge to phal phool jayenge aur prem ka janam hoga

      • Ravindra Shukla bachhe kaa naam prem hogaa-----

      • Suman Mishra श्रधा इश्वर और किसी आदरनीय व्यक्ति के लिए स्वतः ही हो जाता है,,,,उसके लिए विस्वाश का सहारा नहीं लेना पड़ता....क्योंकि...श्रधालू की आँखें बंद..मन भाव विभोर हो झूमता रहता है,

      • Aparna Khare hmmm..........................parmatma ko poorn samarpit to prem hi hota hai...parakastha

      • Aparna Khare shraddha ke ankhe nahi hoti aisa maine suna hain kya ye sach hain....

      • Suman Mishra क्योंकि अगर हम किसी निर्जन स्थान मैं हों..और सामने कोई महात्मा या श्रधेय व्यक्ति आ जाए,,,जिसे आपने कभी देखा ना हो.,...लेकिन मन श्रध्हा से परिपूर्णा हो जाएगा,,,,विश्वास के लिए समय कहाँ रहता है,,,


        Suman Mishra क्योंकि श्रद्येय के लिए,,,विश्वास जैसी परीछा उचित नहीं वो स्वयं विश्वास की प्रतिमूर्ति है

      • हथेली पे रेखाएँ, हैं सब अधूरी
        किस ने लिखी हैं, नहीं जानना हैं
        सुलझाने उन को न आएगा कोई
        समझना हैं उनको ये अपना करम हैं
        अपने करम से दिखाना हैं सब को
        ...खुद का पनपना, उभरना हैं खुद को
        अंधेरा मिटाए जो नन्हा शरारा
        दिशा जिस से पहचाने संसार सारा

        Aparna Khare सही कहा लेकिन अगर हम सामने वाले को कभी देखा ना हो और मॅन ही मॅन उसके प्रति श्रद्धा हो अगर मिल जाए तो कैसे पहचानेंगे

      • Bhuwnesh Prabhu Joshi सही कहा अपर्णा जी.............श्रद्धा के आँखे नहीं होती...सच है जी


        Ravindra Shukla dono kaa aadhaar manovigyaanik hai ----

      • Aparna Khare लेकिन श्रद्धा वाला वो देख लेता हैं जो आँख वाला नही देख पता हैं

      • Nirmal Paneri JISKE AAKHEN HAI VHAI DEKH NAHI PATA HAI ....JEEVAN MEN JISKE AAKHEN NAHI HAI VAHI DEKH PATA HAI ....VHAI SHRIDDHA HAI


        Ravindra Shukla vyvhaarik gyaan ke aadhar par bhi vyaakhyaa ho sakti hai -----

      • Ravindra Shukla us dishaa me bhi gati de ---

      • Aparna Khare pls kare na daddu..


        Suman Mishra उसकी पवित्र तरंगे आपके अन्दर स्वयं समाहित हो जायेंगी....उस व्यक्ति का "AURA " ही इतना तेज़ होगा,,,की आप एक पल के लिए....स्वयं कहेंगे ,...".मुझे विश्वास नहीं हो रहा है आपको देखकर.." अहो bhaagya..

      • Hitesh Joshi Apni jivan urja me sardha rakhna 
      • Parmatma ko pane ka sabse sugam marg he


        Ravindra Shukla bhaai mujhe is vishay ki koi jaankaari nahi hai ----


        Aparna Khare श्रद्धा खुद आती हैं या गुरु डालता हैं


      • Suman Mishra मुझे भी नहीं है,,,,,


        Aparna Khare सब कह के कहते हो कुछ नही आता वाह सुमन जी


      • Bhuwnesh Prabhu Joshi गुरु के करीब हो जाओ इतने.....श्रद्धा आ ही जाएगी


      • Suman Mishra मुझे बहुत थोड़ा ही ज्ञान है,,,इस पर,,,वैसे ज्ञान का g भी मुश्किल से ही कभी कभी,,,,


      • Aparna Khare यही मैं भी कह रही थी की हम तो अनगढ़ पथर की तरह गुरु के पास जाते हैं गुरु ज्ञान, प्रेम, श्रद्धा डाल कर हमे सीचता hain


      • Aparna Khare एक एक रुपया सब से जोड़ेंगे तो बहुत सारा धन आ जाएगा ऐसे ही सबके एक एक विचार मिलकर ज्ञान की पोटली बन जाएँगे
        Bhuwnesh Prabhu Joshi जिसका आप कोई प्रमाण नहीं मांगते, वह श्रद्धा है।


      • Aparna Khare यानी श्रद्धा अप्रमेय हैं

      • गुरु और शिष्य का संबंद मेने आपने विचार से बनाया है आपने जीवन में ....आप के बीच शेयर करना चाहूँगा
        गुरु और शिष्य ..उस नदी के उद्गम सा है जाह्न नदी के उद्गम से कई तरह के पत्थर उस के साथ चलते रहतें है ...जो पत्थर आपनी दिशा और दशा ले लेता है व...िही उस नदी के साथ साथ चलता रहत अहि ..खुद को ढालता हुआ ...और नदी अंतत उस समुद्र में गिर्जती है ...पूर्णता को प्राप्त कर लेती है ..बचा पत्तर ...उसका जीवन कितने तपेडों से बना है वाही जनता है ...जो न बहा सका वो वहीँ पड़ा रहता है ...और कटता रहता है ...उस पानी की धार से .!!!!!!!!!!1

        Bhuwnesh Prabhu Joshi बिलकुल अपर्णा जी...


      • Aparna Khare यानी शिष्य की मेहनत बेकार गई


      • Aparna Khare दशा और दिशा तो गुरु ही देता हैं ना अपने शिष्य को 
      • शिष्य तो कच्ची मिट्टी का बना हैं उसे क्या पता किधर बहना हैं


        Hitesh Joshi jiski moujudgi me sardha ki kli phul ban jay usi ka nam SADGURU he


      • Hitesh Joshi Ok bye


      • Nirmal Paneri VAHI NADI DETI HAI DASHA OR DISHA ..PER ...US PATTHAR KA CHARITRA KESA HAI ...OR BAHNA CHATA HAI KI NAHI VAHI BAT HAI 


      • Aparna Khare मान लो बहना चाहता हैं तो क्या मिलेगी गति उस पथर को


      • Nirmal Paneri US KO US NADI KE ANUSAR DHALNA HOGA ...AAPNE CHARITRA KO !!!NADI KE LIYE SAB SAMAN HAI


      • Nirmal Paneri JAB VO GIRA TO AAPNE KO PAHLE HI ITNA KATHOR BANA LIYA KI AAB VO BAHNE SE RHA HAI ..AAB TO KAL KAT KAR HI USKO CHOTA HONA HAI ....VAHI HAI JEEVAN MEN AAP KITNA KATHORE BANA HAI ...YE SHIKSHA BHI DETA HAI ...AAPNE DEKHA HOG KAI PATTHAR NADI MEN PADE HI RHATEN HAI


      • Ravindra Shukla बहादुरगढ [जासंकें]। सौलधामें प्रवचनों के दौरान पंडित कर्ण सिंह ने कहा कि शिव साक्षात विश्वास का स्वरूप है और पार्वती श्रद्धा है। भक्त की नजर में दोनों शब्द समान है परन्तु संतों की नजर में दोनों में अंतर है। विश्वास आत्मा का धर्म है और स्थिर रहता है। जबकि किसी मानव के कमरें को देखकर उसके प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है जो की समय के साथ घटती-बढती रहती है----


      • Nirmal Paneri ISI LIYE JEEVAN BHANE KA NAM HAI ...RUKA PANI KESA HOTA HAI AAP JANTEN HAI

      • हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव अजन्मे हैं और विश्वास का भी जन्म नही होता है। इस प्रकार विश्वास व भगवान शंकर में एकरूपता है यानी विश्वास ही भगवान शंकर है।
        विश्वास आत्मा का धर्म है। परन्तु श्रद्धा पार्वती है। पार्वती को हिमालय के यहा...ं प्रकट होना था तो श्रद्धा को उत्पन्न करना पडता है। विश्वास सहज धर्म है। बालक जन्म से कुछ नहीं सीखता है फिर भी विश्वास है कि यह मेरी मां है जबकि श्रद्धा अनुभव से उत्पन्न होती है। विश्वास का एक रूप होता है यानी ये मेरे पिता हैं तो हैं यह विश्वास का एक निश्चित रूप है, जबकि श्रद्धा बढती-घटती रहती है अर्थात आज जिसे हम अपना हितैषी मानते है कल वह हमारा दुश्मन भी हो सकता है। उसके द्वारा किये गए कमरें से उसके प्रति हमारी श्रद्धा कम व ज्यादा हो सकती है, यानी किसी व्यक्ति के प्रति श्रद्धा अनुभव से घट-बढ सकती है। विश्वास स्थिर होता है। जबकि श्रद्धा घूमती-फिरती रहती है।
        उन्होंने कहा कि विश्वास कभी अंधा नहीं होता पर श्रद्धा अंधी होती है। श्रद्धा टूटे तो दुख ज्यादा नहीं होता है विश्वास टूटे तो अधिक दुख होता है। इसलिए श्रद्धा और विश्वास के बीच में संतों के मतानुसार बुनियादी अंतर है। श्रद्धा न हो तो विश्वास व्यर्थ है। विश्वास न हो तो श्रद्धा को भटकना पडता है। अत:साधक को विश्वास और श्रद्धा का समन्वय बांधना होगा।
        -----बहादुरगढ [जासंकें]। सौलधामें प्रवचनों के दौरान पंडित कर्ण सिंह ..
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        Nirmal Paneri ‎@rAVI SIR ..YEHI BAT MENE BHUT UPAR KAHI HAI


      • Aparna Khare bahut sunder Ravindra ji


      • Aparna Khare श्रद्धा अटूट हैं या विश्वास या दोनो ही कही नही जाते अगाल बगल रहते हैं


      • Aparna Khare गुरु नदी हैं या नदी मे गतिशील पथर जो नदी मे समाने को बेकरार हैं


      • Nirmal Paneri HA HA HA HA ...AAJ TO PHOTU KO CHARITRAT KAR RHAI HAI ..aPARNA JI ...WAAH ...BHHUT SUNDRA ....JEEVAN MEN YE HI SACCHE GHYAN KI PARIBHASA HAI KI AAP KO BACCHA BAN KAR HI SHIKNA HAI ..HAR SAMY CHAE AAP KI UMRA KESI BHI HO ...SAMNE WALE SE


      • Aparna Khare थॅंक्स निर्मल जी.....क्राइस्ट ने कहा हैं Be like a child


      • Nirmal Paneri VAHI HAI JEEVAN MEN ...BACCHE BAN KAR SHIKNA ...SABSE BADA GYAN HAI ...SHIKNE KA ....SHUKRIYA JI


      • Aparna Khare जो बच्चा बनता हैं वो दुनिया के सारे तापो से बच जाता हैं जैसे घर मे कोई भी समस्या आ जाए बच्चे पे कोई फ़र्क नही पड़ता और अगर बच्चा रूचि भी ले तो कमरे से निकाल देते हैं तुम्हे क्या करना हैं हम हैं ना


      • Aparna Khare आप सा गुरु मिले तो कौन नही सीखना चाहेगा....मेरा जीवन धन्य हो गया आपकी शीतल छाया से


      • Ravindra Shukla ab btaao or kyaa kahnaa hai post ke baare me----kuaa kuch oar kahoon---?


      • Aparna Khare hmmm..keh sakte hain..ham seekhne ko taiyaar hain


      • Aparna Khare गुरु मिला तब जानिए मिटे मोह मॅन ताप
      • हर्ष शोक व्यापे नही तब गुरु आपे आप

        सच्चा गुरु मॅन के मो को निकाल देता हैं, जब जीवन मे किसी बात पे ना ज़्यादा खुशी हो ना गम तब समझो गुरु का काम पूरा हो गया और शिष्य का जीवन गुरु जैसा हो गया



        Hitesh Joshi Coment ka satak(100) to kar dijiye


      • Aparna Khare shatak ho chuka hain 109..


      • Hitesh Joshi To ab manniy satish ji ko es topic ka upsahanr likhne ko aamantrit kare
      • Mene to kh diya ab 1 try aap bhi

      • विश्वाश -हमारे सुसुप्त मन में
        परत -दर -परत अपना
        अस्तित्व बनाता है- और
        आगे चलकर मौम से लाख और
        फिर चट्टान सा अडिग हो जाता है .
        ...
        श्रधा एक शब्द नहीं - भाव है
        स्वयमेव उभर आता है - जब कोई
        विश्वाश के अवलंबन में लिपट
        स्वत: शने शने हमारे अंतर्मन में
        जाने कब और कैसे उतर आता है .
        आने के बाद फिर-
        और कहीं कभी नहीं जाता है .


        Ravindra Shukla baabu ji gaagar me saagar bhar diyaa aap ne ----aabhaar----


      • Ravindra Shukla post smaapt-----


      • Aparna Khare बहुत बहुत आभार बाबू जी आपका
      • पलते रहे आपकी शीतल छाया मे
        यही हैं दुआ परमात्मा से



        Hitesh Joshi Meri taraf se sat sat naman
      • Es se sundar es topik ka ant nahi ho sakta
        Bahut bahut aabhar

        Ravindra Shukla joshi ji kuch or kahnaa ho to kahe ---ham sunnaa chahte hai ----


      • Nirmal Paneri babu ji ko tahe dil se dhanyawad ....""word-of-the-day""


      • Ravindra Shukla nirmal se sahmat hoon---aabhar mitr--

      • Nahi ravi ji
        Sardhey
        Satish ji
        Ne sab kuchh kah diya apni coment me jad buddhi
        Aur kya khu
        ...Ase bado ka aasirvad milta rhe
        Yhi parahu se kamana he
        Punh satish ji ko naman

        Ravindra Shukla joshi ji sahmat hoon---


      • Amit Agarwal Hitesh Joshi Ji se sehmat hoon


        Amit Agarwal Shukla ji,,kripya saral shabdon main vyavharik gyan ke adhaar par vyakhya karien....

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