Thursday, June 23, 2011

हम ना भूले एहसान तेरा.........


गुरु एक मीठा एहसास है,
गुरु, ज्ञान की एक एक बात है,
गुरु से शुरू हर एक दिन हमारा,
ऐसी ही बस प्यास है..
वो सात दिन (सेवेन डेज़)
क्या नही दिया हमे..
भीगा दिया अंदर बाहर की 
बारिश से हमे..
आपका चलना, 
उठना, बैठना सब 
ज्ञान दे जाता है..
गुरु मीठी वाणी से
सहज हमे अपना 
रोतो को हृदय से लगाया है, 
आधी रात मे भी 
प्यार से पास बिठा कर
एक एक को ज्ञान सुनाया है......
जब ज़रूरत हो हमे 
तब कोई पास आए,
हमे गले से लगाए,
हमे प्यार से सहलाए,
अपनी मीठी वाणी से हमे नहलाए...
उसे गुरु नही मसीहा कहेंगे..
दादा आपके बताए 
ज्ञान पे नि दिन चलेंगे,
आपकी प्रेरक बातों से 
नित नित अपने मॅन को भरेंगे,
नही आने देंगे मॅन मे 
कोई नेगेटिव थॉट,
हम बस आपकी मशाल लेकर 
आगे बढ़ेंगे,
करते है प्रतिगया 
ना कभी मॅन की सुनेगे
दादा आपके साथ
कदम मिला कर 
हर पल चलेंगे....हर पल चलेंगे............

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