Tuesday, June 21, 2011

दर्द


जब भी तुम्हारी आँखो मे 
दर्द पाया हैं 
खुद को बहुत 
सहमा सहमा सा पाया हैं..
ये तुम्हारा दर्द था 
या मेरा प्यार
जो उभर कर 
तुम्हारी आँखो मे 
जा समाया हैं
कैसे दू इसे
तुम्हारे नाम की अभियक्ति
जब दर्द बन कर 
मेरी सांसो मे 
जा समाया हैं
इसे क्या कहूँ
प्यार की साधना
या आत्म विवेचना

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