तेरे प्यार का नशा
तेरी चाल का नशा
तेरे प्यार का नशा
तेरी याद का नशा
तेरे होने का नशा
तेरी चाहत का नशा
जाने क्यूँ हर वक़्त मुझे
बेचैन किए जाता हैं
मेरी रूह को भी मुझसे
दूर लिए जाता हैं
खोजती हूँ जब अपने आप को
अपने भीतर
तेरा ही अक्स नज़र आता हैं
क्या हो गया हैं मुझे
क्यूँ हो गया हैं मुझे
कुछ मेरी समझ मे नही आता हैं
तू ही बता मेरे हमदम
क्यूँ तू मुझमे समाए जाता हैं..
दुनिया से लड़ना आता नही मुझको
पर तेरी खातिर खुद को दुनिया से ही
दूर किए जाता हैं
नशा ना उतरे कभी तेरे प्यार का हमदम
तेरे बातों से दिल मदहोश हुआ जाता हैं
4 Comments:
sentiments beautifully expressed.
sunder hai di...bahut sunder
thanks Ajay Churu ji
thanks Suman
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