Tuesday, June 21, 2011

तेरे प्यार का नशा


हर बात का नशा 
तेरी चाल का नशा
तेरे प्यार का नशा 
तेरी याद का नशा
तेरे होने का नशा
तेरी चाहत का नशा
जाने क्यूँ हर वक़्त मुझे
बेचैन  किए जाता हैं
मेरी रूह को भी मुझसे
दूर लिए जाता हैं
खोजती हूँ जब अपने आप को
अपने भीतर
तेरा ही अक्स नज़र आता हैं
क्या हो गया हैं मुझे
क्यूँ हो गया हैं मुझे
कुछ मेरी समझ मे नही आता हैं
तू ही बता मेरे हमदम
क्यूँ तू मुझमे समाए जाता हैं..
दुनिया से लड़ना आता नही मुझको
पर तेरी खातिर खुद को दुनिया से ही
दूर किए जाता हैं
नशा ना उतरे कभी तेरे प्यार का हमदम
तेरे बातों से दिल मदहोश हुआ जाता हैं

4 Comments:

At November 11, 2011 at 10:26 AM , Blogger Ajay Churu said...

sentiments beautifully expressed.

 
At November 11, 2011 at 10:35 AM , Blogger suman.renu said...

sunder hai di...bahut sunder

 
At November 11, 2011 at 10:59 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks Ajay Churu ji

 
At November 11, 2011 at 11:08 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks Suman

 

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