टूटना मौन का………
कितना मुखर
हो जाता है इंसान
जब बोलने पे आता है..
अंदर अंदर
कितनी बार
टूटा होगा……
कितनी बार भीतर
खुद को समेटा होगा..
हज़ारो बार
मॅन को समझाया होगा..
बार बार दहक्ते विचारो को
दफ़नाया होगा…..
पर लाख कोशिशो के
बाद भी ..
मॅन को नही
समझा पाया होगा..
तभी तो शायद
खुद को दुनिया के सामने
मजबूर होकर
बोलने पर उतर आया होगा….
बोलने पे उतर आया होगा…………
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