Saturday, June 18, 2011

पत्थर था जो मोम बना वो


 पत्थर था जो मोम बना वो
तेरे बस छू लेने से
आँसू जो था बूँद बना वो
तेरे बस छू लेने से
कितनी सख्ती थी उसमे
बड़ा पाषण हृदय था वो
तूने ऐसा प्यार दिया कि
पिघल के अब मोम बना वो
ऐसा क्या था बस तेरे छू लेने मे
दिल की सख्ती जाती रही अब
प्यार बढ़ा हर कोने मे
पत्थर था जो मोम बना वो
तेरे बस छू लेने से
एक स्टोरी याद आ गई ........

एक गाव मे बहुत  से पंछी रहते थे सब का आपस मे बड़ा प्यार  था  उसी गाव  मे एक शिला थी जिसका नाम मुदार शिला था वो बहुत सुंदर थी सारे पंछी उसे बहुत प्यार करते थे रोज़ उसके पास आते थे उससे बाते करते थे अपनी कहानी सुनाते थे यहा तक की अपना चेहरा भी देख लेते थे लेकिन मुदार शिला मोर से प्यार करती थी वो रोज़ मोर का इंतेज़ार करती थी की वो आए..मोर को पता नही था कि मुदार शिला उसे प्यार करती  है जब उसे पता चला तो वो उसे देखने आया पर जैसे ही मुदार शीला ने मोर को देखा वो पिघल कर पानी बन गई...इस स्टोरी का मोरल यह है की दुनिया से जब गुरु के पास आए थे तो बहुत सख़्त थे लेकिन जैसे ही गुरु ने परमात्मा प्रियतम की बात सुनाई तो पिघल कर पानी हो गये

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