मेरा वर्तमान
अब प्रासंगिक नहीं लगता
मन को उलझा कर रखना
तुम्हारे विषय मे सोचना
साथ जीने मरने की बात करना
अपनी हथेली की लकीरो पे
भरोसा करना
दामन को भिगोना.......
अकेले मे भी तुम्हारे विचारो की
परवरिश करना.....
बस रह गया हैं
अपने से लड़ना
भावनाओं को पीछे करना
खुद पे भी भरोसा ना करना
मुझसे मेरे वज़ूद का बिछड़ना..
खुद को खुद मे समेटने की
कोशिश करना.....
अपनी बेचैनी पे काबू करना
क्या ये मेरा वर्तमान हैं....
जो मुझपे इतना मेहरबान हैं
- Manoj Guptaमैंने सार्थकता की पगडण्डी चुनी
सुविधा के मंच की जगह मैंने
सिद्धांत के नेपथ्य में रहना
ठीक समझा
मैं चुप रहकर सुरक्षित रह सकता था
और आनन्दित भी
मैंने बोलकर खतरे मोल लिए
हालाँकि मेरे विरोध से दुश्मन बेअसर रहा
मैंने चिरायु होने की जगह जटायु होना पसंद किया
जबकि शत्रु रावण की तरह शक्तिशाली था
और मेरी पराजय पूर्व निश्चित
हस्तक्षेप मेरे होने की अनिवार्य शर्त है
और पराजय मेरी नियति
शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गरदन गडाना
छोड मैंने हालात का जायजा लिया
और चौकन्ना रहा
खुली आँखों से दुश्मन की
चालों को देखा
मेरे और दुश्मन के मध्य हमेशा एक शतरंज बिछी रही
जय पराजय की धूप-छाँव के बीच
दाँव-पेंच मेरा जीवन रहा
धृतराष्ट्र मैं न था
और गांधारी मैं न हुआ
तटस्थ द्रष्टा होने की अपेक्षा सक्रिय दृश्य बनना
मेरा विकल्प रहा
लहूलुहान होना मेरा मेकअप है
और जूझते रहना दिनचर्या
न मैंने गौरव किया अतीत का
न भविष्य की चिन्ता
अपने हाथों से निर्मित किया
अपना वर्तमान।Monday at 5:02pm · · 3 people - Ravindra Shukla भावना मूड, स्वभाव, व्यक्तित्व तथा ज़ज्बात और प्रेरणासे संबंधित है.काव्य गत बात की जाए तो ये सच है की कविता प्रवाह में बहती हुई है --मर्स्पर्शी भावो को कुरेदती हुई सार गर्भित रचना ---जो प्रासंगिक लगती है ---मुबारक ---...Monday at 5:21pm · · 2 people
- Aparna Khare उत्साहवर्धन का शुक्रिया...आप ने हमारी कविता की गहराई को जाना, समझा और सराहा...Monday at 5:24pm · · 2 people
- Kiran Arya Waah dost shabd nai hai mere pass kuch kahne ko, behtareen abhivyakti.............Monday at 6:17pm · · 3 people
- Rahul Rocky बहुत ही भावात्मक प्रस्तुति.....Aparnaji.....
मूक दर्शक सा देख रहा हूँ , मजबूर सा
वर्तमान है ये मेरा, या अतीत सामने है .....Tuesday at 12:54pm · · 3 people - Kamal Kumar Nagal AAP KI RACCHNAO ME JAAN HA...BAHUT BAHUT BADHAI HO..APARNA JITuesday at 2:26pm · · 1 person
- Om Prakash Nautiyal *
"..भरोसा करना
दामन को भिगोना.......
अकेले मे भी तुम्हारे विचारो की
परवरिश करना..."
भावनाओं को सरस और सहज अभिव्यक्ति दी है।सुन्दर रचना है।
*Tuesday at 3:42pm · · 1 person - Rahim Khan aap ke vichaaro me dinpratidin nikhar aate ja raha hai,,,,,,,,,,,,,,,,,bas yahi kah sakta hun...........Tuesday at 4:14pm · · 1 person
- Naresh Matia बस रह गया हैं
अपने से लड़ना
भावनाओं को पीछे करना
खुद पे भी भरोसा ना करना
मुझसे मेरे वज़ूद का बिछड़ना..
खुद को खुद मे समेटने की
कोशिश करना............apne se ladna ya mai kahunga apne ko samjhna......wah jyada jaroori hain...lafne se sabse badi samsya har-jeet ki hoti hain...har gaye to toot gaye..jeet gaye to ahm aa gayaa.....apne ko samjh lya to sab pa liya........bahut badhiya rachna aapki.......Tuesday at 4:55pm · · 2 people - Chitra Rathore Aparna Ji....nice lines...kal aur aaj key beech main khud key astitva ko talaashtee hui c rachna....
kyaa bhram tha...kyaa sahi hai...
kyaa hai jo...hokar bhi nhi hai...Tuesday at 9:27pm · · 3 people - Rajiv Jayaswal तुम मेरा कल थीं
वर्तमान नहीं हो
जुड़ा तुम से मैं कभी था
जुदा मुझ से तुम अभी हो |Tuesday at 11:37pm · · 1 person - Poonam Matia ek kashmaksh jaari rahti hai.........hamesha apne se .......koi buraai nahi isme .......kya tha .kya hai .,kya hoga .........aur usse bhi mahtvpoorn ............kya ho sakta hai ........bas isi udhed-bun mei lage rahte hain sabhi ...............ek saarthak rachna ke liye badhaai Aparna ........Yesterday at 2:11am · · 2 people
- Alam Khursheed Bahot Koob Aparna Ji!
Aap ke liye ek she'r jo aap ko kuchh aur rahat dega...:):):):)
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Bahut shiddat se chahoge to wo kho jayega Kharre!
Jise dhoonda nahin jaata wo aasani se milta hai.......Yesterday at 7:49am · · 1 person - Aameen Khan Mann ke aantarik dwandwa ko bahut bakhubhi prastuut kiya hai aapne. Nice one.Yesterday at 4:33pm · · 1 person
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