Tuesday, July 12, 2011

पंछी के प्राण उड़े



जैसे पंछी के प्राण उड़े 
सबको एक दिन जाना हैं
तोड़ के पिंजरा पंछी को
एक दिन तो उड़ जाना हैं
ये घर तो हैं रैन बसेरा
छोड़ के बस जाना हैं
एक आए हैं एक हैं जाए
मकसद सबका अलग अलग हैं
कर मकसद को पूरा 
पंछी को उड़ जाना हैं
दुनिया हैं एक रैन बसेरा
छोड़ यही सब जाना हैं
क्या पाया क्या खोया 
इसका ना अनुमान करे
करते जाए मॅन से अच्छा 
मॅन मे ना अभिमान धरे
यहाँ की करनी को मेरे बंधु
वहाँ तक ले जाना हैं
दुनिया हैं एक...
छोटी छोटी बाते छोड़े 
बड़े बड़े हम काम करे
माने माता पिता की अगया
जग मे अपना नाम करे..
राग द्वश को छोड़ दे बंदे
प्रभु का केवल नाम भजे
दुनिया को संजे मुसाफिर खाना
सैर करे और कही ना फसे
दुनिया............................

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