तुम्हे फिर आना होगा
तुम्हे फिर आना होगा
आ कर फिर
ना जाना होगा
तुम्हारी प्यारी बाते
वो रोज़ रोज़ की मुलाक़ते
मुझे बेचैन करती है
मेरा सुख चैन हरती है..
क्या तुम्हे भी सब
याद आता है
मिलन का वो लम्हा
अब तक महकाता है
तुम हो चाहे दूर कितने
पर यकीन है इतना
मुझे ना भूल पाओगे
अपनी मसरूफ़ियत मे भी
हर जगह
मुझे ही पाओगे
भूलना भी चाहोगे मुझे तो
निगाहो मे हरदम
मुझे ही पाओगे...
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