Saturday, July 2, 2011

Dedicated to my guru Dada Bhagwaan...who was the founder of our satsang...




दादा का दिन है आया
मॅन मे नया उत्साह लाया
दादा का दिन है आया
मॅन मे नई उमंगे लाया
दादा ने खिलाई फुलवारी
उसमे झूमे है दुनिया
ज्ञान का पाठ पढ़ाया
जिसे सुनकर संसार
आश्चर्य मे आया
दादा ने दिया
"हूँ कुछ नहि" का मंत्र
जिसे सब प्रेमी पाकर धन्य
दादा ने दिया गीता ज्ञान
मुर्दो मे भी आ गई जान
दादा आपका ज्ञान 
जीवन से लगाएँगे
हम भी आपकी तरह 
जनम मरण मे
नही आएँगे
कैसे हम आपका
एहसान चुका पाएँगे
शुक्र मे जीवन बीताएँगे
सबको ज्ञान सुनएँगे...
ज्ञान मे टिकेंगे 
और सबको टिकाएँगे







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