हाथ की लकीर और मेरा भ्रम
सारी दुनिया भ्रम का जाल हैं
मत उलझो इसमे हे पार्थ!
हे धनंजय!!!!
ये मेरा मायाजाल हैं
दर्शन बहलाने का हैं
तुमको उलझाने का हैं
तुमको भरमाने का हैं
मत उलझो लकीरो के
चक्कर मे..............
ये तो कर्महीनो के लिए
बनाया भ्रमजाल हैं
यदि भाग्य की लकीरे
हाथ मे होती तो
बिना हाथ वाले कहाँ जाते..
लकीरे किस्मत नही
मेहनत से बदलती हैं....
पुरुषार्थ से बड़ा कोई देव नही
पुरुषार्थ से ही किस्मत चमकती हैं
किस्मत को चमकाना हैं तो
धनुष गान्दीव उठाओ....
अपने दृष्टी को साधो और बाण चलाओ
देखो दुनिया कदमो मे होगी...
तेरी हर जगह वाहवाही होगी....
तू अपने लक्ष्य पे निगाह रख
बाकी मैं तो हूँ ही सत्य के साथ...
सत्य आज भी जिंदा हैं दोस्तो....
कृष्ण अब भी सत्य के साथ हैं....
हमे आज भी पूरा विश्वास हैं..............
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल and Anz Dobriyal like this.
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल सत्य तो शास्वत है ..... उम्दा रचना अपर्णा जी [ बस कहीं कहीं टाइपिंग देवनागरी के कारण शब्द अलग हो गए है जैसे -अपने ड्रस्टी[दृष्टी] को साधो और बाड़[बाण] चलाओ5 minutes ago · · 1 person
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