गोरेपन की चाह
सबको गोरेपन की चाह हैं
इसके लिए दुनिया बर्बाद हैं
करती हैं सुबह शाम यत्न तमाम
थोड़ा सा गोरापन बढ़ जाए
साजन को गोरी भा जाए
पर साजन तो ऐसे हैं
गोरी पे यू ही रीझे हैं
और गोरी हैं की ......
समझ ना पाए हैं
दिन मे चार चार बार ....
गोरेपन की क्रीम लगाए हैं
ये टेलीविजन वाले भी
क्या ग़ज़ब करते हैं
रोज़ नई नई क्रीम
बाज़ार मे उतार दिया करते हैं
मान भ्रमित हो जाता हैं
कौन सी क्रीम कब लगाए
समझ नही आता हैं?
यहाँ तक की गोरेपन के आकर्षण ने
लड़को को भी नही बक्शा हैं........
उनके लिए में'स क्रीम का
शगूफा छोड़ रखा हैं.............
खुदा ऐसी क्रीमो से बचाए
वरना तो झुर्रिदार चेहरे से
कौन बचाए????????
बेसन और मलाई लगाय....
दादी, नानी की तरह आज भी
चेहरा चमकाए......
- Shambhu Nath Pandey and Vandna Tripathi like this.
Ravindra Shukla
उपभोगता वादी परम्परा को स्वीकार करता हुआ समाज नकारा हो गया है तन को खुबसूरत मानने वाले लोग आज मोह पाश में बंध जाते है ---पर सोंचना ये है की मन का सोंदर्य क्या होता है ---क्या ये ख्याली बात है ----? विज्ञापन आज भ्रम फेलाते है हमें ये सोंच बुनियादी रूप से समाप्त करना है तभी सार्थकता मिलेगी --------काश हम वो समझ पाते ----मारीचिका से निकल पाते ----मुझे याद आती है सुविख्यात कवि की कुछ लाइन -----तन का शंगार तो हजार बार होता है -------पर जीवन में प्यार एक बार होता है ----मन का सम्बन्ध आज तन के रास्ते का मोहताज हो गया है ---इस मानसिकता को बाजार समझ रहा है और उसे भुना रहा है -------हमें लोगो की सोंच को मारना होगा तभी मन के सोंदर्य को उभारा जा सकता है उसके लिए क्रीम की नहीं संस्कारों की जरुरत होती है -------..
about a minute ago · · 1 person
1 Comments:
गोरा बनाने वाले उत्पादों में हाइड्रोक्विनॉन नामक केमिकल मिलाया जाता है, जो एक प्रकार का ब्लीचिंग होता है। इसके प्रभाव से त्वचा को रंग (काला या साँवला) देने वाली वर्णिकाओं के गुण नष्ट हो जाते हैं।
ऐसे सौन्दर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल शरीर के जिस अंग पर किया जाता है, वहाँ की त्वचा साफ यानी गोरी नजर आने लगती है।
इसके अलावा इस केमिकल के प्रभाव से मेलानिन का बनना बंद हो जाता है, जो त्वचा के नीचे कलर सेल्स को बनाने में मदद करता है।
हाइड्रोक्विनॉन के इस्तेमाल से सबसे बड़ा खतरा स्किन कैन्सर का रहता है। ऐसे किसी कॉस्मेटिक्स को इस्तेमाल न करने में ही समझदारी है।
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