कायनात जाग उठी हैं आप भी जाग जाए...
हो गया हैं सवेरा...कदम से कदम मिलाए
सूर्य देव ने अपना आलोक जो नही फैलाया अब तक....! अब हम भी जागेंगे....जग भी जागेगा ....!
सूर्य देव तो कब के आकर सिर पे खड़े हो चुके हैं...
और हम हैं की दो पहर मे सवेरा ढूँढ रहे हैं...
खामोशी की सदा सुनता हैं भला कौन...
आवाज़ भी दो तो लौट आती हैं अपने पास
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