मजबूत इस्पात पर
सोनार की हथोडी
तो फिर भी समझ आती हैं
दोनो गैर हैं एक दूसरे के लिए
पहचान अभी बाकी हैं????
लेकिन लोहे पर लोहे की हथौड़ी तो
जाने क्या सितम ढाती हैं
अपनो से अपनो को चोट...
दिल दहला जाती हैं
इसे सह पाना कोई
आसान बात नही....
कभी कभी तो जान ही चली जाती हैं
तब सोचो घनी चिटकन के
स्पर्श की पीड़ा
कितनी बड़ी है !!!!!!..
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