तुम्हारा मुझे थाम लेना............
अहसान नही हैं हम पे, तुम्हारा प्यार हैं
जो तुम्हारी हर बात मे झलकता हैं..
नही रखते अहंकार, पुरुष होने का कभी
ये ही तो मुझे आश्चर्चकित कर देता हैं
वरना तो मैने देखा हैं हर जगह
अपने लिए दीन, हीन, दया की पात्र
कभी नफ़रत, कभी बेगानापन का भाव
सब जैसे आदत मे शुमार हो गये हैं
तुमने कर दिया हैं सबको परे
तो सब सपना सा दिखता हैं
नही हैं कोई उलाहने का भाव
किसी तरह की शिकायत
बस तुम्हारा प्यार दिखता हैं
अहसान नही हैं हम पे, तुम्हारा प्यार हैं
जो तुम्हारी हर बात मे झलकता हैं..
नही रखते अहंकार, पुरुष होने का कभी
ये ही तो मुझे आश्चर्चकित कर देता हैं
वरना तो मैने देखा हैं हर जगह
अपने लिए दीन, हीन, दया की पात्र
कभी नफ़रत, कभी बेगानापन का भाव
सब जैसे आदत मे शुमार हो गये हैं
तुमने कर दिया हैं सबको परे
तो सब सपना सा दिखता हैं
नही हैं कोई उलाहने का भाव
किसी तरह की शिकायत
बस तुम्हारा प्यार दिखता हैं
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home