Thursday, June 28, 2012






बताओ ना क्यूँ किया ऐसा तुमने हमारे साथ??
जो गया वो लौटा नही..
जो लौटा भी तो वो "वो" नही
मायने बदल गये, सन्दर्भ बदल गये
प्यार करने के ढंग भी बदल गये
अब रेत वैसी नही रही ..
जैसी की हुआ करती थी
साथ चले थे ...................निशान भी बने थे
सरसराती हवा आँचल उड़ा कर ले जाती थी...
ढक लेती थी तुम्हारा चेहरा
पहरो हम यू ही उलझे रहते एक दूसरे मे.....
कब शाम आ जाती पता भी ना चलता.....
अब ना रही वैसे शामे.....सब कुछ बदल गया हैं
नही रहे वो नाम.............जो रेत पे लिखे थे
ना रही वो चाँदनी...........जहाँ हम मिले थे
छोटी छोटी बातों ने अब अहम मे बदल चुकी हैं........
जो आज भी टकराते हैं....नही मनाते एक दूसरे को
जब भी हम लड़ जाते हैं......देखो कैसा प्यार था हमारा
तुम लौट भी आए........लेकिन कितना बदल कर........
अब करते हो हमे प्यार लेकिन कितना संभाल कर
बेबाकी...........बेबसी क्यूँ बन गई..
जो थी अपनी आज अजनबी क्यूँ बन गई????

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