Wednesday, July 11, 2012




रात को महक जाने दो
बादल हैं इन्हे बरस जाने दो
मिल कर नया गुल खिलाएँगे
धरती पे प्रीत के नये फूल आएँगे...
सारा आलम खिल जाएगा..
रूठा साजन भी मान जाएगा....
मिल कर लुत्फ़ उठाएँगे..........
बरसात मे बाहर भीतर दोनो से भीग जाएँगे.

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home