Sunday, January 13, 2013

धूप को चाहिए हल्का सा रास्ता.. लेकिन हमे तो मिला हैं मोहब्बत का वास्ता..


तुम्हारी चिटकन हमारी भटकन
हैं आईने की असली सूरत..
कभी टूटी...कभी दिखा असली चेहरा..

याद किया जब तुमको
नींद जा छिपी..किसी गहरे सागर मे..
हवा का एक झोंका भी 
ना ले सका खवाबो मे...

भस्म हो जाता वो गर तेरी आँखो मे...
कहाँ देख पाती तुम उसे अपनी निगाहों मे..

लो यहा भी देखा अपना फायडा
बने फूल तो भी याद हैं हफ़्ता वसूल..
जबकि फूल देता हैं सिर्फ़ खुश्बू
नही शूल, धूल...

खुदा के हवाले....
या फिर जहाँ "हवा ले"चले...

चलो बच तो गये...मिटने से..
वरना हवा ले जाती जाने कहाँ उड़ा के..

मेरा घर का निशा हैं अब मिट चुका...
दिखता नही हैं किसी भी नक्शे मे........

फैशन के दौर मे टीकाउ की इच्छा
बाबू जी ये सोचना भी अब अच्छा नही लगता..

कैसे तुमने टीकाया हैं..हमे भी बताओ
आज कल तो हवा का चलन ही उल्टा हैं .

घरौंदे कोई नही करता पसंद..
सबको महल की दरकार हैं..

धूप को चाहिए हल्का सा रास्ता..
लेकिन हमे तो मिला हैं मोहब्बत का वास्ता..

आ जाओ फिर देर किस बात की हैं..
सब मिल कर एक साथ घर मे कूदेनगे..

उसी हवा का वास्ता..पाकर
हम लौट आए हैं अपने घरौंदे मे..

कॉटर और कुटीर हमे बहुत भाते हैं
ये सब हमे अपनो से मिलवाते हैं..

3 Comments:

At January 14, 2013 at 1:10 AM , Anonymous Anonymous said...


ek khyaal .....apna sa


tinke tinke bikhr diyen hain havaon ke us jhokhen ne ...
yaad to hoga tumhe ....?? Chashmdeed ho tum .....
kisi ghonsle ke bikharne ki ......!!!!!

 
At January 15, 2013 at 12:50 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

hamara kaam hain ghosle bun na na ki...tinko ko bikherna...tum shayad mujhe galat samjhe...

 
At January 15, 2013 at 4:14 AM , Anonymous Anonymous said...

kisne kaha galat ho tum...??
vishwaas prabal hai aaj bhi ke galti tumharee nahi ..
havaoon ki hai .....

(ik byaan ... jo kaha hai man ne aabhi abhi )




dekhna ...''jindgee'' tab bhi
pankh failaye milegee ...hamesha ki trah ...








 

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