Monday, January 7, 2013

देश का क़ानून


क्या समझते हैं खुद को
देश के नेता, ढोंगी संत,  पाखंडी पुरुष की  जमात
जो मुँह मे आए कह देंगे ..निकाल देंगे अपने मन का रोष...
कोई नही इन्हे रोकने वाला..
एक आए और कह गये..
ठीक से कपड़े नही पहनती हैं लड़किया...
इसलिए होता हैं.......तो कोई हमे बताए 
विदेशो मे तो सब खुले आम घूमती हैं
उनके साथ ये क्यूँ नही होता हैं..
हमारे यहाँ तो जो गाँव मे पूरे कपड़े पहने 
औरते काम करती हैं उनके साथ भी ये सब होता हैं
एक आई और बोली..मोबाइल से सब होता हैं 
कौन इन्हे समझाए मोबाइल तो
अपनी सुरक्षा के लिए भी होता हैं..
अगर ऐसा हैं तो आप मत रखो
अब बापू बोले...दीक्षा नही ली इस कारण हुआ..
क्या जो दीक्षा लेते हैं वो मन वचन कर्म से 
शुद्ध हो जाया करते हैं..
ये खेल तो सदियो से होता आया हैं..
इसमे सब कुछ मन से होता हैं..
निकलता हैं जब भीतर का जहर 
तो पुरुष हिंसक हो उठता हैं..
इसमे कपड़ो की, रात की या ................
फिर किसी और बात की ग़लती नही .होती हैं...
लड़की का लड़की होना ही 
सामने वाले के लिए काफ़ी होता हैं..
जब वो कोमा मे पड़ी लड़की को नही छोड़ते ...
काम वाली बाई को नही छोड़ते तो...
सुन्दर लड़की की क्या कहे..
अगर सफाई करनी हैं तो इनकी 
विक्रत मानसिकता की सफाई जड़ से करे..
तभी कुछ हो सकता हैं....तभी देश का कोई क़ानून 
अपना काम ठीक से कर सकता हैं..



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