Friday, January 4, 2013



साथ मे दिल से एक आवाज़ आई
कहाँ ही माँ..मेरी माई .

जो मिला वही दिया...
जख्म मिले जख्म दिया..

चाँद ने सुनाया  जो उसका फसाना
रुक गई साँस..थम गया जमाना

यही तो हैं उनको शिकायत..
करते नही हैं प्यार
तुम करना वो ही जो वो कहे..
तभी होगा तुमपे एतबार

बर्बाद भी करता तो बताकर
कैसी बातें करते हो..
बर्बादी तो उस दिन हुई..
जब वो चला गया तुम्हे छोड़ कर 

मोहब्बत हो पुरानी तो शूल सी चुभती हैं
जब जब आता हैं बहार का मौसम..
बारिश की तरह उसकी याद हर वक़्तबरसती हैं
कहीं भी मिलता नही सुकून दिल को..
बस एक ही बात उसका ना होना...
दिल को ख़टकती हैं..

बरसा जो बादल माँ की याद आई
काड्की जो बिजली..बाबा की याद आई..
झूमा जो पेड़ आँगन मे..बहना की याद आई
दौड़े जो खेतो मे..भैया की याद आई..
चुराई जो लकड़ी होली मे ....दोस्तो तुम्हारी बहुत  याद आई..

दफ़ना के फूल तुम किताबों मे ...हो गये खुश
फूल से पूछो..कितना दिल दुखा उसका..

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