जिंदगी की सांझ मे कुनकुनी धूप
जिंदगी की सांझ मे कुनकुनी धूप
सच उतर आए आँगन मे तो..
जिंदगी भी सुहानी हो उठती हैं
प्यार का लंबा सफ़र ....
मनचाहा साथी...
जिंदगी की रागिनी गा उठती हैं...
नाच उठता हैं मन का मयूर..
लंबी जिंदगी भी ठहर जाती हैं....
देखती हैं खुद को खुद से......
रह जाते हैं कुछ एहसास अनोखे से..
जो ता उम्र जिंदा रखते हैं प्यार की उष्मा को..
कभी पानी ना पड़ने देते अपने प्यार पे..
यही हैं प्यार का ठहराव...जिंदगी का ठहराव..
मन का ठहराव.....
2 Comments:
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kya hua...jindagi ko
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