लोंग ड्राइव
तुम भी ना...
मुझे छेड़ छेड़ कर ले जाते हो
अतीत मे..
मुझे खुलना पसंद नही..
तुम ये अच्छे से जानते हो
फिर भी..
ना जाने क्यूँ यादों को सहलाने मे
तुम्हे अलग आनंद आता हैं..
हर बात तुम्हे रोमांचित कर जाती हैं...
जो हम दोनो से जुड़ी हो....
कभी लोंग ड्राइव वाली बात...
जब मस्त पवन के झोके के साथ
हम शहर से कितनी दूर निकल आए थे
याद ही नही रहा पलट कर घर भी जाना होता हैं..
तुम्हारा ड्राइविंग सीट पे होना ..
मेरा अपनी घनी ज़ुल्फो से तुम्हे छेड़ना
फिर हमारा ..ज़ोर ज़ोर से एक साथ गाना गाना...
सच बहुत अच्छे दिन थे...क्या कॉलेज लाइफ थी..
तुम्हारे साथ बिताया हर लम्हा...
आज भी मेरी आँखो मे क़ैद हैं....
बस पुरानी अलबम को पलटना
ज़रा मुश्किल हो जाता हैं मेरे लिए
जब तुम कहते थे सुनो...
मुझे अलग सी taan सुनाई देती थी...उस सुनो मे..
लगता था कभी अलग नही हों
यू ही जिंदगी चलती रहे रफ़्तार से....
तुम्हारे साथ..कभी ना लौटना पड़े...
पुराने..पथरीले रास्ते पे....
लेकिन
क्या कभी अपना सोचा होता हैं...
तुम्ही से सुना था..जिंदगी बहुत छोटी होती हैं....
जी लो इसे जान लड़ा कर..
तब मुझे तुम्हारी बात समझ नही आई थी..
चुलबुली सी छोटी लड़की...जिसने अभी अभी
तुम्हारे सामने आँखे खोली हो...
उसे क्या समझ....अपना सोचा कभी नही पूरा होता
वक़्त के साथ दौड़ना पड़ता हैं...
लेने पड़ते हैं कई निर्णय...
जो हमे भी अच्छे नही लगते....
बताओ ना..हम जिसके साथ उम्र बिताना चाहते हैं
वो हमसे दूर क्यूँ चला जाता हैं
अनचाहा रिश्ता क्यूँ निभाना पड़ता हैं...
मनचाहा क्यूँ नही मिलता.....प्लीज़.. बोलो ना..
यही नन्हा सा सवाल हैं मेरा.....
तुमको तो समझ हैं ना दुनिया की....
आज मुझे भी समझा दो ना..
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