मैं भी बेबस फील करता हूँ खुद को..
अलग होते ही ऐसा क्यों लगता हैं मुझे
बेजान सी हो जाती हूँ मै
उसने मुझसे इतने भोलेपन से पूछा
मेरे तो हँसी आ गई
मैं और भी मासूम बन गया उसके सामने
मैंने कहा ....और क्या महसूस करती हो तुम मेरे बिन?
अब उसकी रोने की बारी थी
आँखों में मोटे मोटे आंसू आने ही वाले थे
मैंने झट समर्पण का भाव अपना लिया
बोला ....अच्छा रहने दो
मुझे पता हैं तुम्हारा जवाब क्या होगा
पता नहीं क्यों ?
उसकी आँख में आंसू मुझे अंदर तक भेद देते हैं
नहीं सह पाता उसका रोना या दुखी होना
वैसे तो मैं बहुत स्ट्रांग हूँ
लोग मेरी बहादुरी की मिसाले दिया करते हैं
मेरे दोस्त मेरे भरोसे कई लोगो से
पंगा भी ले लिया करते हैं
लेकिन जब बात कनु की आती हैं तो ...
मेरी बहादुरी जाने कहाँ चली जाती हैं
उसका प्यार हैं ही ऐसा
मानो जूनून की हद तक
अगर मेरे मुख से कुछ निकला
समझ लो ....वो कनु के लिए पत्थर की लकीर
अब तो पूरा करके ही दम लेगी वो लड़की
मुझे भी सौ बार सोचना पड़ता हैं
उसके सामने ...कुछ कहने से पहले
भावुक इतनी पूछो मत ...डर लगता हैं ..
परेशानी मे ....कही कुछ कर ना बैठे..
अंजान पगडंडी पे बढ़ते हुए आज हम दोनो को
पूरे तीन साल हो को आए हैं..
बस अब मोहब्बत को ....अंजाम तक पहुचाना बाकी हैं....
शायद वक़्त लगे.. या ये भी हो सकता हैं..और रूहानी जोड़ो की तरह..
हम भी ना मिल पाए... कभी ना एक हो पाए...
डरती हैं वो... थोड़ा थोड़ा... या यू कहो...नही चाहती कुछ ऐसा
जो उसे समाज की नज़रो मे गिरा दे...
ओह कनु ...तू कितनी भोली हैं..कुछ नही समझती..
मैं मन ही मन बुदबुडाया..
बिना परीक्षा के कहीं परिणाम मिलते हैं..???
कड़ी मेहनत.... सुखद परिणाम..
यही सुनता आया था अपनी माँ से..
अब शायद परीक्षा की बारी हैं..
कनू प्ल्ज़्ज़... हारना मत..
क्यूंकी तुम्हारे सवाल का यही जवाब हैं...!!!!!!
अलग होते ही बेजान से क्यूँ हो जाते हैं हम..
सो अलग नही होना..किसी भी कीमत पे
अलग मत होना..जुदा मत होना ...लव यू प्यारी कनु
मैं भी बेबस फील करता हूँ खुद को..
तुम्हारे बिना!!!!!!!!
1 Comments:
ब्लॉग बुलेटिन की आज शुक्रवार २५ जुलाई २०१४ की बुलेटिन -- कुछ याद उन्हें भी कर लें– ब्लॉग बुलेटिन -- में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार!
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