कभी मुझको भी तो मनाओ.....
झूले सा झूलता मेरा मन
तुम क्यूँ हुए कहीं गुम..
आ भी जाओ दिल तुम्हे बुलाता हैं
ना जाने कितने साथ बिताए
सावन की याद दिलाता हैं..
माना अब वो बात ना रही...
प्यार वाली वो सौगात ना रही
फिर भी
एक बार तो आओ..
वही प्यार वाला रिश्ता तो निभाओ
देखना फिर से बचपन वाले दिन आएँगे
तुम्हारा नाक पे रखा तेज गुस्सा
हवा मे बहा ले जाएँगे...
मानो मेरी बात...एक बार तो आओ...
देखो रूठ गये हो तुम..
कभी मुझको भी तो मनाओ.....
लौट जाउगी फिर मैं कहीं दूर
बस..जो हैं मुझको इतना यकीन
उस पर अपनी चाहत की
मुहर तो लगा जाओ..
घिर आई हैं काली घटा...आ भी जाओ..
आ भी जाओ...
तुम क्यूँ हुए कहीं गुम..
आ भी जाओ दिल तुम्हे बुलाता हैं
ना जाने कितने साथ बिताए
सावन की याद दिलाता हैं..
माना अब वो बात ना रही...
प्यार वाली वो सौगात ना रही
फिर भी
एक बार तो आओ..
वही प्यार वाला रिश्ता तो निभाओ
देखना फिर से बचपन वाले दिन आएँगे
तुम्हारा नाक पे रखा तेज गुस्सा
हवा मे बहा ले जाएँगे...
मानो मेरी बात...एक बार तो आओ...
देखो रूठ गये हो तुम..
कभी मुझको भी तो मनाओ.....
लौट जाउगी फिर मैं कहीं दूर
बस..जो हैं मुझको इतना यकीन
उस पर अपनी चाहत की
मुहर तो लगा जाओ..
घिर आई हैं काली घटा...आ भी जाओ..
आ भी जाओ...
2 Comments:
खूबसूरत अभिव्यक्ति...
NICE ..........:)
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