जिंदगी का अर्थ..
दौड़ दौड़ दौड़...सब दौड़ रहे हैं ...
आगे से आगे निकालने को आतुर
पता नही क्या पाना चाहते हैं?
क्या दिखाना चाहते हैं ..
जबकि
पता हैं जीवन मृगतृष्णा के जल के सिवा
कुछ भी नही...
जब इतने समय पहले ही महात्मा बुद्ध ने
ये अपनी खोजना से साबित कर दिया था...
फिर भी..
नये लोग ..नई खोजना...शायद कुछ नया मिल जाए..
जिंदगी कोई विज्ञान नही..
हर पल कुछ ना कुछ
छय होता रहे..घटता रहे..जैसे सृजन, विकास विकास के बाद विनाश ...
जिंदगी तो खुद को पाने का नाम हैं...
जिसने खुद को समझ लिया ...
समझो..
सारी दुनिया को समझ गया..
सबका मनोविज्ञान एक सा जो होता हैं
कहते हैं अगर किसी को एक सिलाई मशीन रेपैयर करनी अच्छे से आ गई तो वो कोई भी खराब सिलाई मशीन एक बार मे अच्छे से दुरुस्त कर लेगा..
यही हाल हमारे मन का भी हैं..बस अपना बना लो..सबका बनाना आ गाएगा..
तुम भी खोज मे लगे हो अच्छा हैं..और खोजना के लिए नींद का उड़ना भी ज़रूरी हैं..
सो खोजो नही ...खो दो ...खुद को
गुम कर दो...जो शेष बचेगा वो अम्रत होगा ..वहॉ सच होगा...वही तुम होगे..
समझ गये ना...जिंदगी का अर्थ..
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