Monday, August 17, 2015

दर्द ही तो देता है
जीने की राह
एक खामोश सा मौसम
वीरान सा जंगल
अकेली मासूम हिरणी
सिहरते पेड़
चीखती बर्फीली हवा
साथ में सर्द
ठंडी खामोश रात
और तुम्हे सोचती मैं

6 Comments:

At August 17, 2015 at 10:25 AM , Blogger Kailash Sharma said...

दर्द के साथ जीना सच में एक अलग ही अहसास है..बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...

 
At August 17, 2015 at 11:51 PM , Anonymous Anonymous said...

:(

 
At August 21, 2015 at 8:08 AM , Blogger कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

achchi kavita hai

 
At October 9, 2015 at 4:14 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

Shukriya Kailash Sharma ji..

 
At October 9, 2015 at 4:14 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

Thanks Kamlesh Kumar Diwan ji..

 
At October 9, 2015 at 4:15 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

anonymous....thanks

 

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