Monday, October 26, 2015

शरद पूर्णिमा


चाँद 
यानि 
एक दूरी
जो अमिट है
जिसे देख तो सकते है 
तारीफ भी कर सकते है 
लेकिन
छु नहीं सकते
परछाई की मानिंद
दूर पास
पास दूर
खेल यु ही जिंदगी का
चलता रहे उम्र भर
होते रहे खुश
अपनी चांदनी को देख
चाँद के साथ
क्या हुआ जो नहीं मिले 
हांथो से हाथ
मोहब्बत यु ही 
बसती रहे
पलती रहे
खिलती रहे
एक दूजे में
(सभी को शरद पूर्णिमा की बधाई)

1 Comments:

At October 29, 2015 at 6:33 AM , Anonymous Anonymous said...

:)

 

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