शरद पूर्णिमा
चाँद
यानि
एक दूरी
जो अमिट है
जिसे देख तो सकते है
तारीफ भी कर सकते है
लेकिन
छु नहीं सकते
परछाई की मानिंद
दूर पास
पास दूर
खेल यु ही जिंदगी का
चलता रहे उम्र भर
होते रहे खुश
अपनी चांदनी को देख
चाँद के साथ
क्या हुआ जो नहीं मिले
हांथो से हाथ
मोहब्बत यु ही
बसती रहे
पलती रहे
खिलती रहे
एक दूजे में
(सभी को शरद पूर्णिमा की बधाई)
1 Comments:
:)
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