Wednesday, October 28, 2015

इस करवाचौथ


देखो आ गया है करवाचौथ

मैं तुमसे दूर सही 
फिर भी तुम रखोगी 
मेरी खातिर उपवास

हर साल की तरह
कुछ ऐसा करना 
दूर से चाँद के साथ 
तुम नजर आओ

तुम पहनना वही 
गहरे गले का लाल ब्लाउज
जिसमे तुम्हारी पीठ 
चांदी की तरह चमकती है 

हाथो में मैचिंग की चुडिया 
जो तुम्हे मेरी याद दिलाती रहेंगी 

लेकिन एक काम करना
फ़ोन पर उन चूड़ियों की
 खन खन मुझे जरूर सुनवाना

अपने गोरे पैरों  लगाना कलकत्ता वाला लाल महावर
वही का लाया हुआ  सुर्ख लाल दिपदीपाता सिन्दूर

कमर में कमरबंद 
लंबी काली छोटी
चटख सी नेल पालिश

खूब अच्छे से सजना सवरना
जब पूरी तरह सवर जाना तो

आईने में खुद को निहार कर शर्मा जाना 
वो शर्म तुम मुझे जरूर भेजना

साथ में तुम्हारी खन खनाती हंसी भी

खूब खुश रहो

चाँद से यही दुआ है

देखना तुम्हारा ये रूप देख कर 
चाँद शर्मा कर कहीं आस्मां से जमीन पर ही न कूद पड़े

ख्याल रखना अपना

1 Comments:

At October 30, 2015 at 9:37 PM , Anonymous Anonymous said...

Nice ...:)

 

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