ek bheegi shaam
वो शख्स
जो खुद करता था
रोज सबकी शामें रोशन
आज एक भीगी शाम
उसके नाम हुई
सीखाता था जो
जिंदगी जीने के तरीके
आज वो बातें आम हुई
हर कोई सुना रहा है
उसका किस्सा,
कुछ सच्चा,
कुछ कच्चा पक्का
वो मीठी बातें अब
राम का नाम हुई
एक शाम में कैसे
समेट सकते है उसको
जिसकी बातें अब
गीता और कुरान हुई
जब तक रहा
देता ही रहा
दुनिया को कुछ न कुछ
जिंदगी उसकी
हवा, पेड़, नदी
समान हुई
कैसे भूल सकते है उसे
जिस से रोशन
कायनात हुई
जो खुद करता था
रोज सबकी शामें रोशन
आज एक भीगी शाम
उसके नाम हुई
सीखाता था जो
जिंदगी जीने के तरीके
आज वो बातें आम हुई
हर कोई सुना रहा है
उसका किस्सा,
कुछ सच्चा,
कुछ कच्चा पक्का
वो मीठी बातें अब
राम का नाम हुई
एक शाम में कैसे
समेट सकते है उसको
जिसकी बातें अब
गीता और कुरान हुई
जब तक रहा
देता ही रहा
दुनिया को कुछ न कुछ
जिंदगी उसकी
हवा, पेड़, नदी
समान हुई
कैसे भूल सकते है उसे
जिस से रोशन
कायनात हुई
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