प्रेमहीन स्त्री
स्वार्थ की पराकाष्ठा
हो तुम
जिंदगी की जंगल में
विष की बेल हो तुम
जिस से लिपटी
उसे अपना पूरा
जहर दिया
न जीने दिया
न मरने दिया
धरती पे जो न
सुख दे सके
किसी को
ऐसी जंगली बेल हो तुम
क्या करूँ
तुम्हारे गुणों की चर्चा
तुमने हर किसी को
अपने तीखे
शब्द बाण
से परखा
न लेने दी सुख की सांस उसे
जिसने तुम्हे हरा भरा किया
कृतग्यहीन, भाव हीन
प्रेमहीन प्रणय मेल हो तुम
क्या कहूं तुम्हे
शब्द कम पड़ जाए
ऐसी दुनिया की जेल हो तुम
हो तुम
जिंदगी की जंगल में
विष की बेल हो तुम
जिस से लिपटी
उसे अपना पूरा
जहर दिया
न जीने दिया
न मरने दिया
धरती पे जो न
सुख दे सके
किसी को
ऐसी जंगली बेल हो तुम
क्या करूँ
तुम्हारे गुणों की चर्चा
तुमने हर किसी को
अपने तीखे
शब्द बाण
से परखा
न लेने दी सुख की सांस उसे
जिसने तुम्हे हरा भरा किया
कृतग्यहीन, भाव हीन
प्रेमहीन प्रणय मेल हो तुम
क्या कहूं तुम्हे
शब्द कम पड़ जाए
ऐसी दुनिया की जेल हो तुम
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