Tuesday, March 13, 2018

जीना न आया

कुछ खोया है
कुछ पाया है
तुमसे बिछड़ के
जीना
अब तक नही
आया है।

तुम जानते हो
मेरे दिल का
सारा हाल
फिर भी
न जाने क्यों
तुमको मुझ पे
तरस
क्यों नही
आया हैं।

तुम बिन जीना
कैसा जीना?
तुम बिन बरखा
कैसी बरखा?
बस यही सवाल
तुमसे हर वक़्त
पूछना है।

तेरी दूरी से
दर्द मेरे दिल का
दिन ब दिन
गहराया है।

तुम्हारी अप्पू

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