किस से करे बात, किसके करीब जाए
बताओ
किस से
करे बात
किसके करीब जाए,
जो तुम नही हो करीब,
सब हो गए पराये
जो बात तुम में थी
वो अब
किसी और में
कहाँ से लाये
तुम ही बोलो
किसे छोड़े,
किसे अपनाये
आज दुनिया
वीरान सी लगती है
कोई नही है अपना
सबसे नई पहचान सी
लगती है
तुम्हारे बिना
जीना कैसा
अब मौत से कहो
मुझे भी
अपने पास बुलाये
वक़्त है कि
कटता नही लोगो मे
तुम्हारे बिना
दिल कहीं लगता नही
अब तुम्ही कहो,
किस से कहे
अपना दर्द
किसको अपना
जख्म दिखाए
बुला लो
अपने पास मुझे
लगे अपने
मुझे पराये
किस से
करे बात
किसके करीब जाए,
जो तुम नही हो करीब,
सब हो गए पराये
जो बात तुम में थी
वो अब
किसी और में
कहाँ से लाये
तुम ही बोलो
किसे छोड़े,
किसे अपनाये
आज दुनिया
वीरान सी लगती है
कोई नही है अपना
सबसे नई पहचान सी
लगती है
तुम्हारे बिना
जीना कैसा
अब मौत से कहो
मुझे भी
अपने पास बुलाये
वक़्त है कि
कटता नही लोगो मे
तुम्हारे बिना
दिल कहीं लगता नही
अब तुम्ही कहो,
किस से कहे
अपना दर्द
किसको अपना
जख्म दिखाए
बुला लो
अपने पास मुझे
लगे अपने
मुझे पराये
2 Comments:
bahut sundar
कोई तों होगा कही
मन के किसी कोने में
बैठा होगा चुपचाप
डरकर चकाचौंध भरी रोशनी से
बुदबुदाता होगा धीरे धीरे
जिन्दगी पर लिखी
दर्दभरी कोई गहरी सी नज्म
खोलता होगा घुप्प अँधेरे में कभी-कभार
अपनी बंद हुयी आँखों को
और टटोलता होगा थरथराती उँगलियों से
अँधेरे में किसी "अपने" को
पता है तुम्हें ??
मरहम नहीं है उसके पास लगाने को ...
जख्म ही है बिलकुल तुम्हारे जैसे
जख्म बहुत दिए है ज़माने ने
जख्मों पर तुम्हारे अपने जख्मों को रख
सुबकना चाहता है घडी भर केलिए
बताना चाहता है की अहसास है उसको ....
तुम्हारी हर एक बात का ..हर एक् जख्म का
आखिर ज़माने में दोनों ही के पास
एक दर्द है
दर्द के भीतर फिर एक दर्द है ...
इतर अलग थलग कहीं कोई एक अहसास है
कहीं पड़ा है दबा हुआ समय की गर्द में
उदास भरी जबरन मुस्कुराती एक मुस्कराहट है
तलाशती हुयी आँखें है ...
यादों में गुजरे हुए लम्हें है ....
लम्हों में शरारतें शिकायतें साफगोईया
और अंत में
हिचकियाँ लेती हुयी सहमी सी एक छटपटाहट है ..
दोनों के पास !!
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