मर भी जाउ तो चैन कहाँ
मैं मर जाऊ तो
कैसे उठेगा
मेरा जनाजा
तुम तो हो ही नही
कौन देगा मुझे कांधा
कौन रोयेगा
मेरी लाश के पास बैठ कर
कौन भरेगा हिचकिया
तुम तो हो नही
कौन देगा मुझे कांधा
सब आएंगे
अफसोस जताकर
चले जायेंगे
कुछ करेंगे
मेरी पिछली जिंदगी का हिसाब
कुछ चुपके से मुस्कुरायेंगे
तुम तो हो ही नही
जो सच मे करते
मेरे जाने अफसोस
सब बस रस्म
अदा करके चले जायेंगे
चलो अच्छा है
दर्द से नाता टूटेगा
कोई तो होगा
जो उस पार मेरे
इंतेज़ार में होगा
मिलेंगे उस से
सब गम
दोहराये जाएंगे
तुम तो हो ही नही
हम जी के भी
क्या पाएंगे
कैसे उठेगा
मेरा जनाजा
तुम तो हो ही नही
कौन देगा मुझे कांधा
कौन रोयेगा
मेरी लाश के पास बैठ कर
कौन भरेगा हिचकिया
तुम तो हो नही
कौन देगा मुझे कांधा
सब आएंगे
अफसोस जताकर
चले जायेंगे
कुछ करेंगे
मेरी पिछली जिंदगी का हिसाब
कुछ चुपके से मुस्कुरायेंगे
तुम तो हो ही नही
जो सच मे करते
मेरे जाने अफसोस
सब बस रस्म
अदा करके चले जायेंगे
चलो अच्छा है
दर्द से नाता टूटेगा
कोई तो होगा
जो उस पार मेरे
इंतेज़ार में होगा
मिलेंगे उस से
सब गम
दोहराये जाएंगे
तुम तो हो ही नही
हम जी के भी
क्या पाएंगे
1 Comments:
:(
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