Thursday, August 10, 2017

यादें भी कमाल करती है

बारिश आती है 
तेरी याद 
ले आती है
हर लम्हा 
टपकता सा 
लगता है
रात लंबी होती 
जाती है
बहने लगते है 
यादों के परनाले
छप छप की 
आवाजें आती है
परनाले भी देने लगते है 
अपने होने का अहसास
सांसे आवाज़ करती है 
दिल से होती है 
पुकार तुम्हारी
धड़कने फिसलने लगती है
इन सांसो की 
आवा जाही को
संभालते कब रात 
गुज़र जाती है
सिलसिला थमता ही नही
बारिश बरस बरस के 
थक जाती है
यादें भी कमाल करती है यार

1 Comments:

At August 17, 2017 at 6:07 AM , Anonymous Anonymous said...

सिलसिला थमता ही नही
बारिश बरस बरस के
थक जाती है.....,

 

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