Thursday, October 18, 2012

क्या लिखू..





क्या लिखू...समझ नही आ रहा..
दिन लिखू, रात लिखू, या कोई 
पुरानी बात लिखू..
खोल दू दिल के दरवाजे.....
या कोई शाम लिखू..........
कैसे खोलू राज़ दिल के...
कैसे सुहाना कोई एहसास लिखू...
तुम्ही बताओ..ना ...............क्या लिखू....
बात लिखी हूँ अगर तुम्हारी....तो 
नाम आए बिना ना रहेगा तुम्हारा
नाम आया जो तुम्हारा...........
महफ़िल मे कोई अपना ना रहेगा....
अब सुझाओ ना...तुम्ही ...क्या लिखू...

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