मशहूर अदाकारा श्रीदेवी का अकस्मात परलोक गमन
नया जनम
नया देश
नया शहर
नया घर
नए माता पिता
नए भाई बहन
नए लोग
फिर से चढ़ना होगा
हौले हौले
उम्र का पायदान
एक, दो, तीन, चार
सीढियो से तय करना होगा
नया सफर
फिर से बनानी होगी
अपनी नई पहचान
फिर से देने होंगे
कई कड़े इम्तेहान
तब लोग
पहचान पाएंगे तुमको
तुम्हारे नए नाम से
सच
मरना भी
इतना आसान नही होता
जीने की तरह
तिल तिल कर
बढ़ना होता है
जीने में तो पता होता है
मेरी राह क्या है
मर कर तो
सब कुछ
नए सिरे से
करना होता है!
क्यों जाते हो ?
छोड़कर
मत जाओ
रुक जाओ
मुड़ कर देख लो
एक बार
सच कहती हूँ
जा नही पाओगे
कहाँ से लाओगे
ऐसा सच्चा प्यार
ढूंढते ढूंढते
थक नही जाओगे
अपर्णा खरे
(श्री देवी जी की मृत्यु से व्यथित)
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