हुस्न और इश्क़
हुस्न है
इश्क़ कही
खो गया
हुस्न ने
दिखाए नखरे
इश्क़
किसी और का
हो लिया
अब हुस्न
अकेला है
इश्क़ के पास
मेला ही मेला है
हुस्न का गुमान
बहुत बड़ा है..........
वो इश्क़ के
दरवाजे के बाहर
खड़ा है
इश्क़ बुलाये
हुस्न अंदर आए
लेकिन
इश्क़ कब तक,
क्योंकर बुलाये????
इश्क़ को
ताकत है
हुस्न को
बेजारी है
इश्क़ है
सबको प्यारा
हुस्न के पास
अदा ए कातिल
सारी है
अब कौन
किसे समझाये
वक़्त दे
उन्हें मोहलत
दोनो कुछ कुछ
एक दूजे को
समझ पाए
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