चाँद का दर्द
चाँद से भी पुराना है
कभी शहर
कभी गाँव
कभी परदेस
न जाने किसने
कहाँ कहाँ उसे
भेज डाला है
वो भटकता है
दर बदर
यहां तक तो ठीक है
लेकिन
किसी ने ईद
किसी ने करवाचौथ में
बुलाकर
उसे हिन्दू मुसलमान तक
बना डाला है
कहे तो वो किस से
अपनी बात
किसी ने लैला
किसी ने मजनू
किसी ने मामा बनाकर
उसे बड़े पशोपेश में
डाला है!!!!
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