खुशबू सी तुम
तेरे जहन में
घूमती हर
वो तस्वीर
जो मोहब्बत से
लबरेज हैं
महकती है
रजनीगंधा बन
देती है राहत
तेरी रूह को,
चमकती है
तेरी आँखों मे
नूर बनकर,
फिर छोड़ कर
खुशबू अपनी
गुम हो जाती है
तुझे दिन भर
महकने के लिए
खुशबू जो ठहरी
रुक नही सकती
न
एक जगह
घूमती हर
वो तस्वीर
जो मोहब्बत से
लबरेज हैं
महकती है
रजनीगंधा बन
देती है राहत
तेरी रूह को,
चमकती है
तेरी आँखों मे
नूर बनकर,
फिर छोड़ कर
खुशबू अपनी
गुम हो जाती है
तुझे दिन भर
महकने के लिए
खुशबू जो ठहरी
रुक नही सकती
न
एक जगह
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