Thursday, June 23, 2011

मॅन तो ठहरा पानी जैसा


मंन तो ठहरा पानी जैसा ..
सब कुछ आता जाता है…
कभी हसांता कभी रुलाता..
सब आकर बह जाता है..


जीवन के इस कठिन डगर मे
मॅन तो एक खिलाड़ी है..
कब कैसी ये बाज़ी मारे 
ये इसकी होशियारी है..


मंन चाहे तो हमे गिरा दे..
मॅन चाहे तो सैर करा दे..
चलता सब पे इसका राज्या..
मॅन की कोई बात ना माने..
ऐसी जीवन की सरकार कहा..


जो मॅन को पीछे कर देता ..
वो बनता सरताज यहा..
जो भी माने मॅन की बातें ..
छाने दुनिया की खाक यहा..


मॅन को प्यारे नीचे रखो..
उसपे रखो विवेक यहा..
तभी बनेगा काम जहा मे..
तभी रहोगे सिरमौर यहा..

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