जो हैं सबके खुदा जा रहे हैं स्कूटर पे
शामिल होने किसी प्रतियोगिता मे
उन्हे क्या पता जिंदगी की सारी
प्रतियोगिता वो ही तो आयोजित करते हैं
लोगो की आँख मे धूल भरने को
खुद प्रतियोगी होने का ढोंग करते हैं
कल फस गये बेचारे इंसानो के चक्कर मे
देखा क्राइस्ट का भेष बना के चर्च के आगे खड़े थे
सोच रहे थे प्रार्थना के बाद जब सब गुजरेंगे
मुझे देख खुश हो जाएँगे...
मेरे लिए हमेशा रोते रहते हैं
देखते ही खुश हो जाएँगे
लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा
लोग बाहर आए उन्हे देखा और
कहने लगे ढोंग करते हो
पहन कर क्राइस्ट की ड्रेस हमे ठगते हो
बेचारे देते रह गये दुहाई मैं सच्चा हूँ
लेकिन किसी ने नही माना........
लोग बोले मैने खुद से किया हैं उन्हे क्रूसीफाइ
कैसे मान ले कि तुम असली हो
अब उस जमाने मे कोई आइ डी प्रूफ तो
होता नही था जो वो दिखलते
बेचारे तरह तरह से रहे ...उन्हे समझाते
फिर भी किसी को समझ नही आया
उनको उल्टा स्वर्ग का रास्ता दिखलाया
आप आप भी ना पड़े लोगो के चक्कर मे
असली वेश मे रहे, ना पड़े मुफ़्त के चक्कर मे
अगर खुदा ने भी अपना असली रंग दिखाया तो
हम सब भी चक्कर मे पड़ जाएँगे
उसके एक उंगली घूमते ही
तीनो लोक दिख जाएँगे इसलिए
खुदा आप भी मुझे माफ़ करना
अपना हरदम हम सब पे इंसाफ़ करना
3 Comments:
भरे हुए हैं जगत में, ज्यादा ढोंगी लोग।
छल-प्रपंच को साथ ले, खाते मोहन भोग।।
--
शब्दपुष्टिकरण हटा दीजिए न!
बहुत खूब |
मेरी कविता:वो एक ख्वाब था
बहुत भावपूर्ण सशक्त प्रस्तुति..
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home