मोह माया
मित्र का सवाल
चर्चित बाबा के चक्कर में
नटखट बाला हुई बीमार,
बाबा हैं साधू - सन्यासी
वो पूरी कलयुगी नार.....
बाबा जब भी धुनी रमाते
वो हो जाती है हाज़िर,
इधर - उधर से ढांप - ढूंप के
करने लगती कविता वार,
फिर भी बाबा ना बोलें जब
ध्यान तोड़ती सीटी मार.....
आप लोग ज्ञानी - ध्यानी सब
जल्दी कोई उपाय बताएं,
नहीं तो बाबा चले हिमालय
छोड़ - छाड़कर ये संसार.....
मेरे द्वारा सुझाया गया उपाय
बाबा तो सबको उपाय बतलाते
उन्हे क्या कोई बताए उपाय..
सबको मोह ममता वो छुड़वाते
उनकी कौन छुड़ाय......
नटखट बाला से बचना
असंभव सा नज़र आता हैं..
क्यूंकी...कामिनी, कंचन, कीर्ति
इन तीनो से बचना प्रायः नामुमकिन
सा हो जाता हैं....
फिर भी बाबा चाहे तो अपनी
समाधि मे चले जाए.....
कन्या जब थक के चूर जाए...
उन्हे भूल जाए तब ....
समाधि से वापस आए..
वरना बाबा की सारी मेहनत
पानी मे चली जाएगी...
कन्या उन्हे फिर से जनम मरण
के चक्कर मे फसाएगी...
संसार हैं मिथ्या तो....
कन्या भी मिथ्या हैं...
क्या फसना कन्या मे..
ये तो बाबा के योग की परीक्षा हैं..
बाबा गर पास हुए तो भगवान मिलेगा..
गिर गये कन्या के चक्कर मे तो
बार बार जनम लेना पड़ेगा.....
इस कविता के द्वारा मुझे मेरा एक मित्र मिला...इसलिए ये कविता मुझे बहुत प्रिय हैं
8 Comments:
मेनका और विश्वामित्र का बहुत बढ़िया चित्रण किया है आपने इस रचना में। साथ ही सुझाव भी दे दिया!
लिखती रहिए, लेखनी में निखार आता जाएगा।
शुभकामनाएँ!
--
वर्ड-वेरीफिकेशन अभी हटाया नहीं है आपने!
thanks Uncle...apka ashirwaad chahiye baki to sab kaam sway sidh ho jayega..
thanks Uncle..jaroor milenge...
वाह जी वाह!
कामनी, कांचन और कीर्ति
अपर्णा जी आपकी प्रस्तुति
अच्छी लगी.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
रूहानी सुहानी का उनतालीस वाँ फालोअर बनते हुए मुझे खुशी हो रही है.
Thanks Rakesh ji....apka yaha bahut swagat hain...apko pasand ayi meri rachna ye mera saubhagya hain.....
संसार हैं मिथ्या तो....
कन्या भी मिथ्या हैं...
क्या फसना कन्या मे..
ये तो बाबा के योग की परीक्षा हैं..
बाबा गर पास हुए तो भगवान मिलेगा..
गिर गये कन्या के चक्कर मे तो
बार बार जनम लेना पड़ेगा.....
वाह बहुत बढिया जी ...मजेदार व्यंग्य
shukriya Anju.ji..
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