इंद्र धनुष
माना इंद्र धनुष मे रंग मेरे हैं
गुलाबी ,लाल ,सुनहरा ,सिंदूरी ,रक्तिम
जो मेरी आभा को दम्काते हैं
मेरे चेहरे पे भरे किसने हैं
इंद्र धनुष का अर्ध चंद्राकार रूप
मेरे प्यार के घेरे जैसा हैं
जो तुमने डाला हैं अपनी बाहों से
मेरे गले मे..........................
प्रीत भी तुम्हारी हैं, खुश्बू भी तुम्हारी हैं
जो तुमने हम मे भर डाली हैं
वरना कहाँ थी ताक़त हमारे भीतर
दुनिया से लड़ने की,
तुम्हारे संग चलने की...
तुम्हारा अपनापन ही हैं जो मुझे
यहाँ तक खीच लाया हैं.........
तुम्हारे एहसास ने ही हमारा
हमसे मिलन कराया हैं
और तुम हो कि तमगा
मुझे दिए जाते हो....
जिंदा रहने का कारण भी
हमे ही बताते हो...कितना चाहते हो मुझे
मेरी जान से भी ज़्यादा.....
नही नही अपनी जान से भी ज़्यादा
गुलाबी ,लाल ,सुनहरा ,सिंदूरी ,रक्तिम
जो मेरी आभा को दम्काते हैं
मेरे चेहरे पे भरे किसने हैं
इंद्र धनुष का अर्ध चंद्राकार रूप
मेरे प्यार के घेरे जैसा हैं
जो तुमने डाला हैं अपनी बाहों से
मेरे गले मे..........................
प्रीत भी तुम्हारी हैं, खुश्बू भी तुम्हारी हैं
जो तुमने हम मे भर डाली हैं
वरना कहाँ थी ताक़त हमारे भीतर
दुनिया से लड़ने की,
तुम्हारे संग चलने की...
तुम्हारा अपनापन ही हैं जो मुझे
यहाँ तक खीच लाया हैं.........
तुम्हारे एहसास ने ही हमारा
हमसे मिलन कराया हैं
और तुम हो कि तमगा
मुझे दिए जाते हो....
जिंदा रहने का कारण भी
हमे ही बताते हो...कितना चाहते हो मुझे
मेरी जान से भी ज़्यादा.....
नही नही अपनी जान से भी ज़्यादा
2 Comments:
बहुत ही सुन्दर भावों को अपने में समेटे शानदार कविता.
shukriya Sanjay ji..
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