Tuesday, January 8, 2013

उदासी




उदासी का मंज़र
जब भी आता हैं..
मैं झट से उसकी चौखट को
खटखटाता हूँ.
निकल आती हैं उसकी यादें
बेचैन हो जाता हूँ..
लेकिन फिर भी खुश हूँ...
उसके साथ...साथ हैं उसकी बात..
हर लम्हा..बस उसी को
महसूस किए जाता हूँ..

2 Comments:

At January 9, 2013 at 6:54 AM , Anonymous Anonymous said...

hammmmmm............nice

 
At January 9, 2013 at 11:35 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

shukriya..

 

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