खामोशिया तो सुन लेती हर हैं सदा...
वो आए तो थे..तुम जान ना पाए थे क्या
सच कहा तुमने..तुम लड़ना जो चाहती हो मुझसे
मैं ठहरा सीधा सादा..
रख कर अपने सपने कहीं भूल आए हो..
क्या तुम भी हमारी तरह दुनिया के सताए हो????
दूसरी दुनिया मे आ गये लगते हो..
किताबे हैं ढेर लेकिन पढ़ नही सकते हो..
हर किताब कुछ कहती हैं..उसमे भी कुछ
भावनाए पलती हैं..
जिसे पढ़ना सबके बस की बात नही..
ये दुनिया अलहदा ही होती हैं..
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