आज शब्दो का अवकाश हैं.
वक़्त पे मिल जाए इलाज तो
हर मर्ज अच्छा हो जाता हैं..
ना मिले दवा तो
छोटा मर्ज भी बड़ा बन जाता हैं..
हमारी दुआ से क्या होगा..
तूफान को जब आना होगा तब आएगा..
हा...दुआ करने से खुदा से हमारा
प्यार ज़रूर बढ़ जाएगा..
आज के अख़बार मे हैं घपला, घोटाला,
मॅच फिक्सिंग, बलात्कार की घटनाओ का ज़िक्र
चाँदनी तो आती हैं जब ..सब ओर होती हैं खुश हाली...
तेरा रंग हर रंग से जुदा हैं..
तभी तो तू हम सब से अलहदा हैं..(सूरज के लिए )
पा लेते तुम मुझको तो
तुम्हारी प्यास ना बुझ जाती..
क्या रह जाता जीने के लिए..
सब कुछ यही ना पा जाती..
आज शब्दो का अवकाश हैं..क्यूँ कि
तूने छोड़ दी जीने की आस हैं
तू ज़रा सा अपना दिल संभाल..
देख फिर लौट आएँगे तेरे खोए हुए शब्द
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