कितने निष्ठुर हो तुम
देखो न प्ल्ज़
तुम मुझे कितना
तंग करते हो
पहले तो तुम
ऐसे नहीं थे
मेरी हर बात का
मुझसे ज्यादा
ख्याल रहता था तुम्हे
नहीं देख पाते थे
तुम मुझे उदास
मुझे देख कर
जिया करते थे
मेरी हर जिद,
मेरी हर न मानने वाली बात भी
मान लिया करते थे
मेरे बिना कहे ही
मुझे समझ जाया करते थे
कभी कुछ
कहना ही नहीं पड़ता था
मन करता था
लडू तुमसे
लेकिन
तुम्हारी सौम्यता, शालीनता
मुझे रोक देती थी
सच कितने सहनशील थे तुम
बरसो बरस इंतज़ार किया
कभी एक शब्द भी नहीं कहा
हमेशा मेरे साथ चले
मेरा साया बन कर
अब तुम्हे कुछ
सुनाई नहीं देता
न मेरा रोना,
न चिल्लाना,
न तुम्हारी याद में तड़पना,
न आंसू बहाना
सच कितने
निष्ठुर हो गए हो तुम
तुम तो कभी
ऐसे नहीं थे
तुम मुझे कितना
तंग करते हो
पहले तो तुम
ऐसे नहीं थे
मेरी हर बात का
मुझसे ज्यादा
ख्याल रहता था तुम्हे
नहीं देख पाते थे
तुम मुझे उदास
मुझे देख कर
जिया करते थे
मेरी हर जिद,
मेरी हर न मानने वाली बात भी
मान लिया करते थे
मेरे बिना कहे ही
मुझे समझ जाया करते थे
कभी कुछ
कहना ही नहीं पड़ता था
मन करता था
लडू तुमसे
लेकिन
तुम्हारी सौम्यता, शालीनता
मुझे रोक देती थी
सच कितने सहनशील थे तुम
बरसो बरस इंतज़ार किया
कभी एक शब्द भी नहीं कहा
हमेशा मेरे साथ चले
मेरा साया बन कर
अब तुम्हे कुछ
सुनाई नहीं देता
न मेरा रोना,
न चिल्लाना,
न तुम्हारी याद में तड़पना,
न आंसू बहाना
सच कितने
निष्ठुर हो गए हो तुम
तुम तो कभी
ऐसे नहीं थे
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home