जब भी लौटती हूँ
मंदिर से
आँखों में आंसू
भर आते है
एक ही सवाल
आता है मन में
भगवन मैंने तुम्हारा
क्या बिगाड़ा था
जो तुमने
ऐसा दुःख दिया
जब पिता चाहिए था
पिता छीन लिया
जब भाई चाहिए था
भाई विहीन किया
कौन सी दुश्मनी
निभा रहे हो
जब भी सोचती हूँ
थोडा दृढ बनू
कुछ अपनी ताक़त से
खड़ी हो जाऊ
तुम टाँगे ही
तोड़ देते हो
क्यों बार बार
मुझे हिला देते हो
नहीं बची अब
मुझमे हिम्मत
नहीं दे सकती
तुम्हे अपने
प्यार की कीमत
प्ल्ज़ अब
रस्ते में मत आओ
मत सताओ
बहुत दुखी,
बहुत अकेली हूँ
अब और नहीं
झेल पाऊँगी
जो तुमने दिया दुःख
यही बहुत बड़े है
क्या करू
अब तुम ही सुझाओ
अब मुझे दुःख से छुड़ाओ
या ले लो
मेरी भी जान
ताकि
न रहे बांस
न बजे बांसुरी
अपनों का बिछड़ना हिला देता है
मंदिर से
आँखों में आंसू
भर आते है
एक ही सवाल
आता है मन में
भगवन मैंने तुम्हारा
क्या बिगाड़ा था
जो तुमने
ऐसा दुःख दिया
जब पिता चाहिए था
पिता छीन लिया
जब भाई चाहिए था
भाई विहीन किया
कौन सी दुश्मनी
निभा रहे हो
जब भी सोचती हूँ
थोडा दृढ बनू
कुछ अपनी ताक़त से
खड़ी हो जाऊ
तुम टाँगे ही
तोड़ देते हो
क्यों बार बार
मुझे हिला देते हो
नहीं बची अब
मुझमे हिम्मत
नहीं दे सकती
तुम्हे अपने
प्यार की कीमत
प्ल्ज़ अब
रस्ते में मत आओ
मत सताओ
बहुत दुखी,
बहुत अकेली हूँ
अब और नहीं
झेल पाऊँगी
जो तुमने दिया दुःख
यही बहुत बड़े है
क्या करू
अब तुम ही सुझाओ
अब मुझे दुःख से छुड़ाओ
या ले लो
मेरी भी जान
ताकि
न रहे बांस
न बजे बांसुरी
अपनों का बिछड़ना हिला देता है
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